ह्र्दयहीनता देख प्रिये तुम , कोमलता मत खो देना।
दूध सी उजली मुस्कानों को,शुष्क ह्र्दय में बो देना।
तेरे होठों की लाली से , उषा का अवतरण हुआ।
तेरी जुल्फों की रंगत से ,ज्योति का अपहरण हुआ।
तेरे नैन में पलती खुशियाँ , कभी कहीं मत रो देना।
ह्र्दयहीनता देख प्रिये तुम, कोमलता मत खो देना।
पाता है रवि रौनक तुमसे, चाँद- सितारे शीतलता।
पवन सुगंध हिरण चंचलता, रसिक नयन को मादकता।
संवेदन से शून्य जगत को , बन सकता जो वो देना।
ह्र्दयहीनता देख प्रिये तुम , कोमलता मत खो देना।
तेरी प्रेरणा से ही मैंने, कर में कलम उठाया है।
प्यार तुम्हारा तम में लौ बन, मंजिल मार्ग दिखाया है।
दिल का एक भरोसा तुम हो , दिल टूटे ना वो देना।
ह्र्दयहीनता देख प्रिये तुम , कोमलता मत खो देना।
---- सतीश मापतपुरी