कहने को तो सब कहते हैं जितना है उतना ही बहुत है
पर एक बात बताये कोई
मेरे घर में कई दिनों से न दीवारें है न छत है
ऐसे में इन किताबी बातों को लेकर कहाँ जाए कोई ...
इंतज़ाम तो मैंने सारे कर रखे है रोटी-दाल के मगर
इस भरी बरसात में चूल्हा कैसे ही जलाए कोई ...
मसला ये नहीं कि सिर पर आसमां है या नहीं
बात ये है कि ज़मी को चादर कैसे बनाये कोई ...
चलो, मन बहलाने को ये भी ठीक है कि हार में भी जीत है
मगर ताउम्र लड़कर हार को कैसे अपनाए कोई ...
यूं जगह तो काफी है हिस्से में मगर मुद्दा इस बात का है
कि मुट्ठी भर रेत में मकां कैसे बनाये कोई ...