यूं कायदे से होना तो ये चाहिए था कि
तुम्हे हर हाल में मेरा होना चाहिए था ।
ग़र्ज़ तो बहुत थे जमाने को हमसे भी और तुमसे भी मगर
कुछ जगहों पर हमें खुदग़र्ज़ शायद होना चाहिए था ।
खुद को पूरा-पूरा दिया तुमने अपनी दुनियादारी को लेकिन
मेरे हिस्से भी कुछ तो तुमसे जुड़ा होना चाहिए था ।
सारे हिसाब-किताब करके थक गयी ये ज़िंदगी भी बेचारी
अब कहती है अंत मे कुछ तो तेरा भी होना चाहिए था।
क्या कहूँ कि मुझसे ज्यादा मेरी इनायतें दुनिया को याद रहीं
ऐ खुदा! तू मान ना मान, मेरा हक इससे ज़्यादा होना चाहिए था ।
सारी रात अकेले कमरे में भी मेरी याद तुम्हारे साथ न हो
रिश्ते में ये हशर तो मेरा नहीं होना चाहिए था ।
यूं कायदे से होना तो ये चाहिए था कि
तुम्हें हर हाल में मेरा होना चाहिए था .......