शीर्षक :---दूसरी माँ
मोनिका गर्ग
सानू माँ का लाड़ला जहाँ भी रीमा जाती सदा साथ रहता था ।सारे घर मे फुदकता फिरता माँ की तो जैसे जान बसती थी उसमे एक मिनट आखों से ओझल नही होने देती थी।
रीमा थी भी बहुत होशियार सारे घर पर जैसे उसने जादू कर रखा था।सभी घर के आगे पीछे घूमते थे नन्द भाभी, देवरो से ऐसे लाड करती थी जैसे अपने सगे बहन भाई से।बस कुछ मिला कर सब की चहेती थी रीमा।
तीन साल का सानू माँ की दुनिया था पता नही क्यू सानू के साथ खेलने वाला उसका दोस्त कनु हमेशा रोता रहता था सानू पूछता कि क्यो रोता है कहता माँ मारती है खाना नही देती ।वो सोचता माँऐ तो इतनी अच्छी होती है पर कनु की मम्मी ऐसी क्यो है बस सोचता सोचता दादी के पास गया ।दादी से पूछा कनु की मम्मी ऐसी क्यो है तो दादी बोली बेटा दूसरी है ना इस लिए तंग करती है ।सानू बोला," ये दूसरी क्या होता है दादी ?तो दादी बोली ,"बेटा जब अपनी माँ मर जाती है तो जो दूसरी औरत माँ बनकर आती है वह दूसरी माँ होती है।सानू दौड़कर रीमा से लिपट गया ,"माँ तुम मत मरना नही तो जो दूसरी माँ कनु की मम्मी की तरह मुझे मारेगी। रीमा लाडले को सीने से लगा कर हस दी।"चल हट पगले! मै तुझे छोड़कर कही नही जाने वाली।"
पर किसी को क्या पता था होनी को क्या मंज़ूर है ।सानू को प्ले स्कूल छोडकर आते हुए रीमा का बहुत भयानक एक्सिडेंट हो गया दुर्घटनास्थल पर ही रीमा की मृत्यु हो गयी।सानू को गहरा सदमा ना लगे उसे उसकी नानी के पास भेज दिया ।दो चार दिन मे सारे किरयाकर्म से मुक्त होकर जब विनोद सानू को लेने उसकी नानी के यहाँ गया तो पहला सवाल सानू का यही था "माँ कहा है? विनोद क्या जवाब दे बस मुँह से निकाल गया माँ की नौकरी बहुत दूर लगी है इस लिए नही आयी।मम्मी नौकरी पर अपने राजा बेटे को नही ले जा सकती थी इस लिए कह कर गयी है कि तुम दादी के पास रहना जब मम्मी की छुट्टी होगी तब मम्मी आ जाएगी।सानू भी मान गया।
विनोद को पता था सानू फोन पर बात करने के लिए जिद करेगा तो विनोद के साथ काम करने वाली छाया का नम्बर उसने अपने फोन मे रीमा के नाम से सेव कर लिया और छाया को सारी परिस्थितियों से अवगत करा दिया कि अगर मेरा बेटा फोन करे तो तुम सम्भाल लेना।
इधर छाया को भी पता था वो कभी माँ नही बन सकती तो उसने शादी का विचार ही त्याग दिया था।बस सानू के जरिए अपनी ममता को तसल्ली दे रही थी।जब भी सानू का फोन आता वह रीमा बनकर सानू से बात करती।बात करते करते कब वो सानू की माँ बन गयी उसे भी पता नही चला उसकी हर बात सुनना रात को लोरी सुनाकर सुलाना ।कई बार सानू कहता माँ आपकी आवाज़ क्यो बदली है वो कहती बेटा यहाँ ठंड ज्यादा है गला खराब है धीरे-धीरे सानू छाया की आवाज़ का आदी हो गया।अब वह रीमा की आवाज़ भूलने लगा था।।घर वालो जब देखा सानू छाया से इतना हिल मिल गया है फोन पर तो हो सकता है वो माँ के रूप मे उसे अपना भी ले ।सबकी रज़ामंदी से रीमा के जाने के छह महीने बाद विनोद ने छाया से शादी कर ली।जब वह उसे घर लाया तो सानू उसे देख कर डर गया पापा दूसरी माँ ले आये। दादी बोली ," देख बेटा सानू तेरी माँ आ गयी।पर सानू बोला इनकी शक्ल तो मेरी माँ से अलग है तो दादी बोली बेटा मम्मी का एक एक्सिडेंट हुआ था डाक्टर अंकल ने चेहरे के चोट ठीक करने के लिए चेहरा बदल दिया।सानू फिर भी असमंजस मे था।जब छाया ने उसे बाहें फैला कर जैसे रीमा उसे बुलाती थी ,"सानू मेरा सोना बेटा ममा के गले नहीं लगे गा सानू आवाज़ सुनते ही भाग कर छाया से लिपट गयाऔर ममता की भुखी छाया भी उसे ऐसे पुचकारने लगी जैसे रीमा ही सानू को प्यार कर रही हो ।
कहते है ताउम्र सानू को पता नही चला कि छाया उसकी "दूसरी माँ" है।