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गजल

9 मार्च 2022

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शायद मेरी यादों का साया, घेर लेता है !

अक्सर वो मुझे देखकर, मुँह फेर लेता है !!

लगता है किसी दर्द का, मारा है आजकल,,

वो गाँव के कुत्तों पे पत्थर, फेंक लेता है !! 1

परदे में मेरे घर के, अब हालत ना रहे,,

वो बैठकर मुंडेर पे सब, देख लेता है !! 2

देखा है उसकी आँखों में, आंसू का समंदर,,

ये बात और है की वो, हँस खेल लेता है !! 3

दुश्मनों के साथ अक्सर, बैठकर 'प्रियतम' ,,

वो नाम मेरा आजकल, कुछ देर लेता है !! 4

                      प्रखर "प्रियतम "

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अंतर्व्यथा
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मेरे जीवन के अनुभवों से निर्मित अहसास की दुनिया के कुछ शब्द ,जो गजल के रूप में ढलकर मेरे दिल से फूट पड़े !

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