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गरीब की बेटी

19 मार्च 2015

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रोज जीती है रोज मरती है , हज़ारो जाम दुःख के पीती है , खुद मे खुद सिमट सी जाती है , इक गरीब की बेटी ! .................................................... घर भी रोता है ,दर भी रोता है , जमीन- ओ आसमा रोता है , जब भी मुस्करा के चलती है, इक गरीब की बेटी ! ................................................... जब से पैदा हुई है रोती है , भूख मिटती नहीं , गम खाती है , दुःख अपने नहीं बताती है , इक गरीब की बेटी ! ................................................... देखती डोलिया उठती हुई झरोखो से , कब आओगे तुम कहती ये कहारों से , चुपके चुपके अश्क़ बहाती है , इक गरीब की बेटी ! .................................................. फटे लिवास को सी कर तन ढकती है , न जीती है न मरती है , न जाने किस लिए सवरती है , इक गरीब की बेटी ! ................................................... तरसती रहती है वो इक लाल जोड़े को , कोई तो आए उसे विहाने को , इसी उमीद मे टूटती बिखरती है , इक गरीब की बेटी ! .................................................. लेती हाथो का तकिया कर के , सो गई चाँद से बतिया कर के , सुबह होती नहीं दुःख सहती है , इक गरीब की बेटी ! ................................................... हज़ारो बार रौंदा है हवस ने , हज़ारो ठेसे पहुंची है वरस मे , कैसे कह दे की अब कुवारी है , इक गरीब की बेटी ! .................................................... ये जीना भी कैसा जीना है , पल पल जिस मे मरना है , ऐ मौत आजा तुझे बुलाती है , इक गरीब की बेटी ! ..................................................... बहाने ढूढ़ती है जीने के , सहारे ढूढ़ती है मरने के , देखो देखो ऎसे जीती है , इक गरीब की बेटी ! ..................................................... फँसी खाए या जहर खाए , कोई देख ले तो मर जाये , अपने जख्मो को जब दिखती है , इक गरीब की बेटी ! .................................................... जिस को मिलते है गहरे-गम , जखम ऐसे मिले हारे हरदम , दुःखों से चूर हो कर मरती है , इक गरीब की बेटी ! ..................................................... सौजन्य :-- एक सज्जन
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बेटी का सम्मान करे

14 मार्च 2015
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बेटी के जन्म पर हर कोई रोता है बेटा हो तो जग चैन से सोता है ... घर मे फूल बन महकती है बेटी फिर भी कांटा बन आँख मे चुभती बेटी .... बड़ी होने पर पाबंदिया लग जाती है घर से जाए तो घर सुना कर जाती है बेटी ... माँ बाप पर सब से बड़ा कर्ज है बेटी फिर भी निभाती हर कर्ज है बेटी ... अपराध है होना इस

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हे मेरे राम

14 मार्च 2015
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हर धर्म मे नारी को सब से ऊँचा दर्जा दिया गया है ! माँ इस दुनिया मे एक ऐसा रिस्ता जिस की जगह कोई नही ले सकता मगर बड़े दुःख की बात है कि पूरी दुनिआ मे नारी का घोर अपमान हो रहा है !आज नारी अपने घर की चारदीवारी मे भी सुरक्षित नहीं है !जहाँ देखो वाही रावण राज हैये सब देख एक संत के दिल से ये शब्द निकले ..

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''प्रेम''

19 मार्च 2015
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''प्रेम'' का मतलब , ''PRACTIKAL'' मनुस्य के शारीर मे मारा हुआ EMOTION का '' INJECTION''.... !! ''प्रेम'' मतलब , दिल का '' EXCHANGE OFFER '' और '' ANLIMITED TALK TIME'' .... !! ''प्रेम'' मतलब , जागती आँखों मे '' विचार '' और बंद आँखों मे सपनो मे खोये रहने का '' दस्तावेज ''.... !! ''प्रेेम

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जीवन का सत्य

25 फरवरी 2015
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पीपल के पत्तो की तरह मत बनो जो वक़्त आने पर सुख कर गिर जाते है बनना है तो मेहँदी के पत्तो की तरह बनो जो खुद पीस कर दुसरो की जिंदगी मई रंग भर देते है ! ................................................................................................................................................

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नारी

14 मार्च 2015
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जब एक Male बच्चा पैदा होता है तब वो पूरी तरह माँ ( एक अौरत )पर निर्भय होता है फिर सिलसिला सुरु होता है माँ / बहन/ बीबी / बेटी को परेसान करने का जब जो सामने मिले उसे हुकम करता है ऑफिस को देर हो रही है नास्ता लगा दो मेरा टीफ्फीन कहा है, मेरी बनियान दो मेरे मोज़े दो, मेरा ऑफिस बैग कहा है बै

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व्याधि क्षमता (Immunity)

12 मार्च 2015
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व्याधि क्षमता (IMMUNITY) 'व्याधिक्षमत्व व्याधिबल विरोधत्वं व्याध्युत्पाद प्रतिबन्धक त्वमितितावत' शरीर मे उत्पन हुई व्याधि के बल का विरोध कर ( शरीर को फिर से निरोग बनाना ) तथा शरीर मे व्याधि उत्पन हो ही नहीं इस प्रकार उस क

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गरीब की बेटी

19 मार्च 2015
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रोज जीती है रोज मरती है , हज़ारो जाम दुःख के पीती है , खुद मे खुद सिमट सी जाती है , इक गरीब की बेटी ! .................................................... घर भी रोता है ,दर भी रोता है , जमीन- ओ आसमा रोता है , जब भी मुस्करा के चलती है, इक गरीब की बेटी ! ......................................

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राज ऐ सेहत

14 मार्च 2015
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अल सुबह जो खाये हवा ! काम आये न कभी दवा !!उषा पान करे जो रोज ! तो न रहे कब्ज का बोझ !!मालिस करे,करे योगासन ! पालन करे पथ्य अनुसासन !!तो ही रह कर स्वस्थ निरोग ! जीवन के भोगे सुख भोग !!दूध,छास,फल कच्ची सब्जी ! खाय नित्य न होवे कब्जी !!भोजन बाद न पिए पानी ! उसने अपच कभी न जानी !!भोजन के बाद जरा सा टहले

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नसिहते-सेहत

18 मार्च 2015
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मुस्किल बहुत है सेहत का बनाना ! बिगड़ जय तो फिर काया है ठिकाना !!सेहत के इन असुलो पर चलोगे ! तो ए दोस्त हमेशा फुलोगे फलोगे !!कई रोगो की जड़ होती है कब्ज जालिम ! नहीं रखना इससे जरा भी मरासिम १ !!अगर चाहो इस से पीछा छुड़ाना ! तो रोज किसमिस और गुलकंद खाना !! बहुत मीठे है फल जो रव ने बनाये ! इन्हे खाओ तो

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