क्यूं न एक दूसरे को जिया जाए।
काम कुछ तो चलो किया जाए।।
मेरे हिस्से की तुम हँसी ले लो।
आपके ग़म को ले लिया जाए।।
मेरे अल्फाज़ हों तेरे लब पर।
अपने होठों को बस सिंया जाए।।
मेरी मंज़िल की हर ख़ुशी तेरी।
उनके ग़म दिल में ले लिया जाए।।
ख़ार चुन चुन के आपके पथ के।
अपने कदमों में रख लिया जाए।।
"नूर"इस जाँ ए मुख़्तसर के लिए।
दिल हथेली पे ही रख लिया जाए।।
कामेश नूर
लखनऊ