13 सितम्बर 2015
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संपर्क -- + ९१९५५५५४८२४९ ,मैं अपने विद्यार्थी जीवन से ही साहित्य की विभिन्न गतिविधियों में संलग्न रहा|आगरा वि.वि.से लेखा शास्त्र एवं हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की ,फिल्म निर्देशन व पटकथा लेखन में व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त की |सर्वप्रथम मुंबई को अपना कार्यक्षेत्र बनाया |लेखक-निर्देशक श्री गुलजार के साथ सहायक फिल्म निर्देशक के रूप में कार्य किया|पटकथा लेखन में श्री कमलेश्वर के साथ टी.वी.के लिए कार्य कर दिल्ली वापस लौट आया|तत्पश्चात दिल्ली दूरदर्शन में दूरदर्शन निदेशक डॉ.जॉन चर्चिल,श्री प्रेमचंद्र आर्या के साथ कार्य किया|साथ ही साथ आकाशवाणी आगरा,दिल्ली,नजिवाबाद केन्द्रों से काव्यपाठ एवं नाटक,एकांकी के लिए कार्य किया |२००२ से अपना व्यवसाय करते हुए साहित्यक कार्यक्रमों में मेहमान वक्ता-प्रवक्ता एवं दिग्दर्शक के रूप में स्वतंत्र रूप से सेवारत हूँ । D
आदरणीय अर्चना जी आपकी सकारात्मक प्रितिक्रिया हमारा उत्त्साह बढ़ातीं है ,धन्यवाद!
1 नवम्बर 2015
आने वाला वक्त अगर, दोहराएगा बीते लम्हें , उन्हें पकड़ के रख लूंगा ,जो छूट गए पीछे लम्हें । बहुत खूब कहा है
31 अक्टूबर 2015
शर्माजी बहुत-बहुत धन्यवाद ,आपका प्रोत्साहन ,विचारों को संजीवनी प्रदान करता है !
17 सितम्बर 2015
नैतिकता औ संस्कार को ,निगल रहा है परिवर्तन , हमने जो अरमानो से ,जी भर कर के सींचे लम्हें... बहुत सुन्दर रचना !
16 सितम्बर 2015
माँ की उंगली पकड़ ठुमक कर ,चला करेंगे इतराके , आयेंगे कल बचपन की ,चंचलता के नीचे लम्हें । --- सुन्दर । कोमल भावों का चित्रांकन !
13 सितम्बर 2015