प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। गोदान एक शोषित किसान और ग्रामीण जीवन पर आधारित उन्न्यास है। इसके नायक होरी और उसकी धर्म पत्नी धनिया जो महाजनी व्यवस्था में चलने वाले निरन्तर शोषण और संत्रास में शिकार हैं। होरी किस्मत का मारा कर्ज के बोझ के तले दबा किसान है जो किसानी और मेहनत मजदूरी करके किसी तरह अपने परिवार का पेट पालता है। इस उपन्यास में होरी की लालसा , गांव के पूंजीपति लोगों का षड्यंत्र, नारी के प्रति लोगों की असम्मान की भावना, पंडित जी जैसे लोगों की बनाई हुई कुरीति , एक किसान की समस्या व गरीबों के साथ हो रहे शोषण का चित्रण किया है।
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