भारत अपनी भविष्यवादी शिक्षा नीतियों के चलते दुनिया भर में अलग पहचान स्थापित कर रहा है। इसका ताजा उदाहरण भारत के दौरे पर आए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस के वक्तव्य से मिला। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और भारत सरकारों ने शिक्षा योग्यता मान्यता मैकेनिज्म को अंतिम रूप दे दिया है। इसके तहत भारत की डिग्री ऑस्ट्रेलिया में और वहां की डिग्री भारत में मान्य होगी। अल्बनीस ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया का डीकिन विश्वविद्यालय यहां गुजरात के गांधीनगर के गिफ्ट सिटी में एक अंतरराष्ट्रीय कैंपस स्थापित करेगा।
आस्ट्रेलिया द्वारा भारत की डिग्री को मान्यता देना इसका अर्थ है ऑस्ट्रेलिया भारत से अपने संबंधों को मजबूत बनाने का इच्छुक है। इससे दोनों देशों के संबंध शैक्षिक आदान-प्रदान
घनिष्ठ होगा ही। इससे हम एक दूसरे की संस्कृति से भी परिचित होंगे। देश के नव युवा भी वहां की तकनीकी से परिचित होंगे वहां जाकर शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे। और इस सब का फायदा हमारे देश को भी मिलेगा। ग्लोबलाइजेशन के समय में यह एक अच्छी पहल है। इसका भारत के शैक्षिक माहौल पर क्या असर पड़ेगा यह तो भविष्य बताएगा। लेकिन विश्वास करते हैं की यह एक अच्छी सकारात्मक पहल है जो दोनों देशों के निवासियों को एक दूसरे को समझने का अवसर प्रदान करेंगी ।
(©ज्योति)