खुशी जिंदगी का वह भाव है जो हमारा चेहरा व्यक्त करता है हमारा शरीर व्यक्त करता है। जब हम खुश होते हैं तो चेहरे पर एक नूर छा जाता है। हमारी आंखें हमारी मुद्राएं खुशी को व्यक्त करती हैं। खुशी हमारे अंतर्मन को तनाव से मुक्त करती है हमें थकान से मुक्त करती है। खुशी वह भाव है जो सिर्फ हमें खुश नहीं करता वरन जो हमारे साथ रहता है वह भी खुश हो जाता है। दुखी व्यक्ति के साथ कोई नहीं रहना चाहता। कहा जाता है
की 8400000 योनियों के बाद मनुष्य को मानव जीवन मिलता है। क्या उस मानव जीवन को भी हम दुख झेलते व
शिकायतें करते बिता देंगें? अतः जरूरी है कि हम खुश रहने की आदत डालें हम जैसा सोचते हैं और करते हैं वैसे ही बन जाते हैं। कहा जाता है मनुष्य अपने जैसे विचारों व लोगों को आकर्षित करता हैं यदि हम खुश रहेंगे तो हमारे आसपास खुशी का साम्राज्य होगा। व हम अपने कामों को खुशी से कर पाएंगे। दुखी व्यक्ति खुद तो दुखी रहता है बरन उसके साथ रहने वाले भी दुखी हो जाते हैं। वह हमेशा जिंदगी से शिकायतें करता रहता है और परेशान रहता है और नकारात्मक विचार
दुनिया में फैलाता है।
अतः जरूरत है कि मनुष्य हमेशा मुस्कुराता रहे ताकि वह इस दुनिया में खुशी बांटे और भगवान के इस उपवन को और सुंदर बनाएं। वह दुनिया में सकारात्मकता फैलाए।
खुश रहना ना केवल आपको स्वस्थ बनाता है बरन बहुत सारी बीमारियों से भी दूर रखता है। यह आपके जीवन में नई उमंगे
नई उर्जा, नई आशाओं के दीप जलाता है,। आपको समृद्धि देता है आपको मजबूत बनाता है संघर्षों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
(© ज्योति)