हर आवाज के पीछे एक आवाज होती है, सुन सके जो वो ही सच्चा इंसान होता है. झूठ दुनियां में है इतने हर कोई सच समझ बैठा है, ख़ुद को ख़ुदा और सब को गुलाम समझ बैठा है.तोड़ जिसने दी है ज़ंज़ीर गुलामी की,उसको ही मुल्क का गद्दार कहता है. बिग
धनपत राय श्रीवास्तव, जिन्हें प्रेमचंद (३१ जुलाई १८८० – ८ अक्टूबर १९३६) के नाम से जाना जाता है हिन्दी और उर्दू के सर्वश्रेष्ट हिंदी लेखकों में से एक हैं। मुंशी प्रेमचंद ने बनारसीदास चतुर्वेदी को दिए अपने एक साक्षात्कार में अपनी पसंदीदा 11 गल्पों के बारे में बताया था, जो इस प्रकार है : बड़े घर की बेट
प्रेमचन्द हिन्दी के प्रथम मौलिक उपन्यासकार हैं। उन्होंने एक क्रमबद्ध एवं संगठित कथा देने का महत्त्वपूर्ण प्रयास किया है। उन्होंने हिन्दी के पाठकों की अभिरुचि को तिलिस्मी उपन्यासों की गर्त से निकालकर शुद्ध साहित्यिक नींव पर स्थिर किया। उनकी कला, उनका आदर्शवाद, उनकी कल्पना और सौन्दर्यानुभूति
जुम्मनशेख अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भीसाझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गये थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गये थे, और अलगू जब कभी बाहर जाते, तो जुम्मन पर अपना घर छोड़ देते थे। उनमें न खाना-पाना काव्यवहार था, न धर्म का नाता; केवल विचा