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हिंदी- राजभाषा

26 सितम्बर 2021

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भारत - भाल की बिंदी हूं मैं,  

निष्प्राण नहीं,  हिंदी हूं मैं ।।    

मिठास हूं मैं, विश्वास हूं मैं,  

बाज़ार हूं मैं, निस्वार्थ हूं मैं।  

सरल सुबोध औे सरस हूं मैं,  

संस्कृति और संस्कार हूं मैं।।    



उत्तर में भले हो मेरा मायका,  

दक्षिण को पता है मेरा जायका।   

बेटी न समझो, वधु हूं मैं,  

न विरोध करो! स्वीकार करो,  

घर की भाषाओं से घुल-मिल रह लूंगी,  

ज्यों वहिनी हो मेरी, चेची हो मेरी।।   



 दोयम ही रहा दर्जा है मेरा,  

क्षेत्रीय भाषा का वर्चस्व निरा।  

फिर भी विरोध? स्वीकार करो,  

हिंदी हूं मैं, अंगीकार करो।।    


भारत-भाल की बिंदी हूं मैं,  

निष्प्राण नहीं, हिंदी हूं मैं ।।                          


- कृति - गीता भदौरिया  

Jyoti

Jyoti

बहुत सुंदर

27 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

बहुत ही सुन्दर,हिंदी वाकई भारत भाल की बिंदी है...बहुत ही सुंदर

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रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बहुत सुन्दर 👌 👌 👌

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आभार 🙏💐💐

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गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

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आभार 🙏💐💐

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रमा

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गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

9 नवम्बर 2021

आभार 🙏💐💐

Nisha

Nisha

बहुत सुंदर

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गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

9 नवम्बर 2021

आभार 🙏💐💐

Pratik Tiwari

Pratik Tiwari

जय हो। बहुत खूब

29 सितम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

9 नवम्बर 2021

आभार 🙏💐💐

Ranjeeta Dhyani

Ranjeeta Dhyani

बेहतरीन पेशकश 👏👏👏👏

27 सितम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

28 सितम्बर 2021

आबहर रंजीता जी

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