है नमन तुझे भारत भूमि,
सर कफन बांध कर आये हैं,
शूरवीर न्योछावर तुझपर,
तेरी ही कोख के जाये हैं।।
हृदय द्रवित मन भारी है,
प्रभु लिखा क्यों? जो होया है,
असमय की इस विदाई पर,
आकाश भी झर-झर रोया हैं।
मत कुरेद कुन्नूर की अग्नि को,
राख तले चिंगारी में खोया है।
कभी मिली नहीं पूर्ण निद्रा जिसे,
भारत माँ का लाल अब सोया है।।
- गीता भदौरिया