मैं रोता हूँ तो साथ तुम होती हो
मैं हंसता हूँ तो साथ तुम होती हो
मैं झूठ भी बोलू तो साथ होती हो
मेरे विचारों में मेरे शब्दों में तुम
जब तुझमें मिलता
तो हो जाता हूँ गुम
तुमसे मेरा प्रेम का रिश्ता है
निर्मल भावों की जैसे सरिता है
जो ना कभी रुकती है
ना कभी थकती है
जो पर्वत से लेकर घाटी तक
जो घाटी से लेकर मैदान तक
जो मैदान से लेकर ज़ुबान तक
ज़ुबान से लेकर माथे की बिंदी तक
जिसने सफ़र किया हिंदी तक
उसी भाषा दिवस पर
शब्दों के फूलों से
वाक्य की माला से
बहुत बहुत हर्षों-उल्लास से शुभकामनाएं।