मैं आपके समाज का भाग हूँ आपके शब्दों का मैं राग हूँ रूप देखकर रिश्ता ना तोड़ो भावनाओं से रिश्ता तुम जोड़ो सात बहनों की पुत्री हूँ उस दुःख से मैं गुजरी हूँ गलत हमको कहते हो तमीज से नहीं रहते हो भेदभाव क्यों करते हो मार पिट कर लहू लुहान करते हो हमको देख कर घूरते हो चीनी समझ कर फेफुरते हो क्यों हमें दिल्ली की यात्रा को इंडिया की यात्रा कि है बोलने को मजबूर करते हो क्यों तुम सांस्कृतिक रिश्तों को अलग करते हो केवल खनिज संपदा के लिए हमसे जुड़ते हो
क्यों हमें इंडियन नहीं समझते ? केवल इसलिये कि ? चेहरा तुम सा नहीं ? या हम इंसान नहीं ? बताओ सवाल बहुत है ?