जिन पैरो से सारा जहां नाप आते इस छत से उस छत पर कूद जाते सब साथ होते दादा दादी सुनाते परियों के जहां में वो हमको घुमाते संस्कार का बीज कहानी से
22 अक्टूबर 2020
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जिन पैरो से सारा जहां नाप आते इस छत से उस छत पर कूद जाते सब साथ होते दादा दादी सुनाते परियों के जहां में वो हमको घुमाते संस्कार का बीज कहानी से लगाते डाटते हमको गलत करने से डराते बचपन के वो दिन बहुत याद आते। स्कूल में हम भी बहुत मजा करते बड़े होकर वो करेंगे सपने सजाते खेल में घोड़ियों को नचाते जो साथ मेरे खेलते वो आज मुझसे नहीं मिलने आते वो दूर चल जाते वो जिंदगी में खुद को मशरुर पाते बचपन के वो दिन बहुत याद आते।