पंद्रह जून की वह अंधेरी रात, सुकून से सो रहा था
हर हिन्दुस्तानी।
क्योंकि सीमा पे चीनियों को, सबक सिखा रहे थे
जांबाज़ हिन्दुस्तानी।
वो थे चीनी हजारों में,केवल पैंतीस सैनिकों के साथ था
संतोष हिन्दुस्तानी ।
संयम और धैर्य के साथ, गया समझाने चीनियों को था
वह वीर हिन्दुस्तानी।
धोखेबाजों ने वार पीछे से कर ,बीस जवानों के साथ ले ली थी उसकी कुर्बानी ।
खबर जैसे ही लगी थी , उन कायरों की इस हरकत की
चीनी करस्तानी।
चल दिए घातक दस्ते के साथ,कायरता पे प्रहार करने
कमांडो वीर सेनानी।
किए घातक वार गर्दन पर,तोड़ उनकी भुजाओं जबड़ों को
लौटे वीर हिन्दुस्तानी।