लिखने को है बहुत कुछ,लेकिन चल ना पाती ये लेखनी।
कहने को है बहुत कुछ,लेकिन कह ना पाती कोई कहानी।
हवा तो बहती है बहुत गर्मी में,लेकिन होती नहीं इतनी सुहानी।
चाहने वाले तो बहुत है,लेकिन उनकी चाहत में है बेईमानी।
विश्वास की डगर पे खोया बहुत कुछ,लेकिन फिर भी खुश है ये जिंदगानी।
सफलता तो पायी बहुत कुछ,लेकिन शिखर तक ना पहुंचा ये अभिमानी।
ज़िन्दगी में पाया बहुत कुछ,लेकिन जाने से अपनों के हो गया सब बेमानी।
लिखने को है बहुत कुछ,लेकिन चल ना पाती ये लेखनी।
तिनका तिनका जोड़ बनाया बहुत कुछ,लेकिन किसी के ना आने से छा गई वीरानी।
सहेजने को यादें तो है बहुत,लेकिन नहीं आ पाती याद वो जुबानी ।
इसीलिए समेट लेता हूं पल बहुत कुछ,लेकिन फिर भी ना रह पाती कोई निशानी।
लिखने को है बहुत कुछ,लेकिन चल ना पाती ये लेखनी।