भूलकर भी मन रूपी घर पर ना लगाएं यह तीन कांटेदार आदतों के पौधे अन्यथा जीवन बनेगा दुखी।
दोस्तों एक बार फिर से स्वागत है आपका हमारे इस लेख में। हम आपके लिए लेकर आए हैं। एक बेहद ही रोचक जानकारी, जो आपके घर में लाएगी सुख समृद्धि।
दोस्तों कहा जाता है की घर पर बबूल, नागफनी, बैर इत्यादि कांटेदार पौधे नहीं लगाने चाहिए क्योंकि इससे हमारे घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जिस पौधे में पत्ते कम और कांटे ज्यादा हो ऐसे पौधे घरों में नहीं लगाने चाहिए। क्योंकि कांटे दुख देने का काम करती है।
हमें घर में तुलसी, गेंदा, इत्यादि खुशबूदार फुल के पौधे लगाने चाहिए। जीससे की घर में लक्ष्मी का वास हो, घर का वातावरण सुगंधित हो, क्योंकि स्वक्ष, खुशबूदार जगहों पर ही देवी देवताओं का वास होता है।
इन सभी बातों को बुजुर्गों द्वारा कहने का तात्पर्य यह था की पहले लोग सार में बातें किया करते थे, बातें करते वक्त कहावतों का इस्तेमाल किया करते थे।
पर अगर हम कर्म की गुह्य रहस्यों के पीछे गौर फरमाएं तो श्रीमत भगवत गीता में परमात्मा ने कहा है की कर्म करो फल की चिंता मत करो। क्योंकि व्यक्ति को फल उसके कर्म के मुताबिक मिलने हैं।
अगर हमने दीवार में गेंद मारी है तो वह हमारे पास लौटकर आनी ही है। तो अगर हम श्रीमत भगवत गीता में लिखी गई बातों का अनुसरण करते हुवे श्रीमत प्रमाण कर्म करते हैं। तो इससे हमारा भाग्य सर्वश्रेष्ठ बनना ही है। और जब श्रीमत की जगह मन मत के अनुसार कर्म करते हैं तो नेगेटिविटी के वश होकर नेगेटिव कर्म ही करते हैं। और किसी भी मनुष्य आत्मा को उसके ही कर्मों का फल मिलता है। किसी अन्य के कर्मों का फल किसी और को नहीं मिलता।
मतलब हमारे जीवन के हर परिस्थिति के जिम्मेदार हम स्वयं हैं। तो पूर्वजों के कहने का तात्पर्य यह था की अपने मन रूपी घर में अगर हम अवगुणों का बीज बोएंगे तो हमारे अवगुण के कारण हमारा सोच, बोल, कर्म नेगेटिव हो जायेगा। जिससे हमारे संबंध संपर्क में आने वालों को हमसे कड़वाहट महसूस होगी, हमारे कर्म नेगेटिव होंगे, बोल नेगेटिव होंगे तो यह कांटे के समान हैं। जिसके फलस्वरूप हमारा जीवन दुखों से भर जाता हैं। तो नेगेटिव कर्म ही वह बीज है जिसे अपने मन रूपी घर में नहीं बोना है अन्यथा अगर हम अपने मन रूपी घर में नेगेटिव कर्म के बीज बोते हैं। तो इसके फलस्वरूप हमारे जीवन में हम दुख रूपी कांटे खुद ही चुभों रहे हैं।
वहीं अगर हम गुणों की खुशबू फैलाते हैं। तो पॉजिटिव कर्म से अपने श्रेष्ठ भाग्य का निर्माण खुद ही करते हैं। और जब मन में सफाई सच्चाई होगी, ईमानदारी होगी तो अपने श्रेष्ठ कर्मों के फलस्वरूप श्रेष्ठ भाग्य का निर्माण हम खुद ही करेंगे जिससे गुणों की खुशबू से हम खुद के जीवन में सुख, शांति और सफलता के द्वारा समृद्धि को प्राप्त करेंगे।
जैसा बीज हम बोयेंगे वैसा फल हम पाएंगे।
अगर हम नागफनी, बैर, इमली के जैसा कांटेदार कर्म का पौधा बोयेंगे तो इसके फलस्वरूप जीवन दुखी बनकर दुख का कांटा चुभकर दर्द पहुंचाता रहेगा। वहीं जब हम खुशबूदार पॉजिटिव कर्म रूपी फूल के पौधे बोएंगे तो एक दिन उन्ही पॉजिटिव कर्म से हमारा जीवन महक उठेगा। और हमारे श्रेष्ठ कर्मों के फलस्वरूप जीवन में सुख, शांति, समृद्धि का आगमन हो जायेगा। अर्थात लक्ष्मी का आगमन होगा मतलब।
जब दिव्य गुणों की खुशबू से हमारा व्यक्तित्व महकेगा तो इस खुशबू से अर्थात इन पॉजिटिव लक्षणों से लक्ष्मी का आगमन होगा अर्थात पॉजिटिव लक्षणों द्वारा लक्ष्य को हांसील करने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
दोस्तों हमारे नेगेटिव सोच, बोल, कर्म ही वह तीन पौधे हैं। जिसे मन में बोने से हमारा जीवन दुखी बनता है। और ईर्ष्या, द्वेष, जलन, क्रोध, तुलना, कंपीटिशन, अहंकार, लोभ, बदला इत्यादि उस पौधे पर उगे कांटे के समान है जो हमारे साथ साथ हमारे संबंध संपर्क में आने वालों को भी दुखी बनाते हैं।
जय श्री कृष्ण दोस्तों फिर मिलेंगे एक और भी रोचक जानकारियों के साथ अभी के लिए इतना ही अगर आपने अब तक हमें फॉलो नहीं किया है। तो जल्दी से फॉलो बटन दबा दें, इससे आपको भविष्य में भी आने वाली लेखों के बारे में सबसे पहले जानकारी मिलती रहेगी।