अच्छा या बुरा होने से पहले कुदरत देते हैं संकेत
दोस्तों नमस्कार एक बार फिर से स्वागत है। आप सभी का हमारे लेख में, आज हम आपसे शेयर करने वाले हैं, कुछ महत्वपूर्ण व रोचक जानकारियां, जिससे आप अपने जीवन में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने में कुछ हद तक सफल होंगे।
दोस्तों भारत एक अध्यात्मिक और धार्मिक देश है। जहां अनेकों तरह की मान्यताएं हैं। जिनमे से कुछ बिलिफ्स को आज की टाइम के लोग मानने से साफ साफ इंकार करने लगते हैं। क्योंकि सबको साइंटिफिक प्रमाण चाहिए।
पर कर्म की गुह्य गति को समझा जा सकता है। और समझकर सत्कर्म करना, बुरे कर्म ना करना यही बेसिक प्रिंसिपल प्रातः हर धर्मों में है। असत्य पर सत्य की विजय, अधर्म पर धर्म की विजय के किस्से हर धर्मों में प्रचलित हैं, मतलब कर्म के सिद्धांतों से दुनियां के सभी जाति, धर्म के लोग भलीभांति वाकिफ हैं।
हमारा दिल हर बुरे कर्म करने से पहले हमें रोकता है। और हमारा वही दिल हमें अच्छे कर्म करने को प्रेरित करता है।
दोस्तों राम और रावण , कंश और कृष्ण, देवता और अशुर की जितनी भी कहानियां प्रचलित हैं। वह हमें सत्य और असत्य, धर्म और अधर्म, सही और गलत की परख करने के लिए मार्ग बतलाती है। जिससे की हम अपने दैनिक जीवन में सत्कर्म को अप्लाई करें और बुरे कर्मों को करने से परहेज करें। और कर्म के अनुरूप ही जीवन में दुख या सुख की प्राप्ति होती है।
पर भारत में अलग अलग जगहों पर अलग तरह से कुदरत द्वारा हमें प्राप्त होने वाले इशारों को समझकर पूर्वानुमान लगाने की कोशिश की जाती है।
तो दोस्तों आज हम ऐसे ही कुछ रोचक बातों को जानेंगे जिससे की हम भी कुदरत द्वारा मिल रहे संदेशों के माध्यम से अपने जीवन में घटित होने वाले घटनाओं के बारे में पूर्वानुमान लगा सकें।
*तुलसी के पौधे का सुखना* - दोस्तों तुलसी के पौधों का सुखना हमें संकेत देता है, की हमारे जीवन में दुख की घड़ी आने वाली है। हमें समस्याएं घेरने वाली हैं। इसलिए तुलसी के पौधों का विशेष खयाल रखें उसे नियमित जल चढ़ाएं, यह आपको 24 घंटे ऑक्सीजन देकर स्वास्थ्य भी रखेगी। इसका भावार्थ यह है की तुलसी का पौधा प्रतीक है। मनुष्य आत्माओं के दिव्य गुणों का जब हम नियमित रूप से परमात्मा द्वारा प्रदत्त ज्ञान अमृत पान करते हैं। इससे हमारे दिव्य गुण जागृत हो जाते हैं इससे हर कार्यों में दिव्यता आती जाती है। और जीवन सुखदाई बन जाता है। वहीं नियमित ज्ञान अमृत का पान ना करने से हमें मायावी दुनिया के पांच विकार क्रोध, लोभ, अहंकार, मोह, काम इत्यादि घेर लेते हैं। और हमसे नकारात्मक कर्म करवा कर हमें दुख गिफ्ट में ले जाते हैं। हमारे जीवन रूपी पौधे के खुशियों, प्रेम, सुख, शांति रूपी पत्तों को सूखने से बचाने के लिए हमें नियमित ज्ञान अमृत का पान करना चाहिए।
*झाड़ू* लक्ष्मी का सूचक है। इसे उल्टा नहीं रखना चाहिए यहां तक की भारत में तो मान्यता है की झाड़ू से गाय को नहीं मारना चाहिए, अंधेरा होने के बाद झाड़ू नहीं लगाना चाहिए। इसके पीछे भावार्थ यह है कि हमें श्रीमत प्रमाण कर्म करने चाहिए। श्रीमत के *उल्टा* कर्म नहीं करना चाहिए। क्योंकि श्रीमत के विपरीत चलने वाले दुख के भागी बनते हैं।
*बिल्ली का रास्ता काटना* अशुभ माना जाता है। इसका अर्थ यह नहीं की बिल्ली ही अशुभ है। बल्कि बिल्ली तो महज कुदरत के तरफ से हमें संदेश देने के निमित्त है। जो हमें यह संकेत देने आती है। की हमारे अतीत के किसी नेगेटिव कर्म के फलस्वरूप निकट भविष्य में हमारे साथ कुछ बुरा होने वाला है।
*आंख का फड़कना* -महिलाओं की राइट आंख तो पुरुषों की लेफ्ट आंख का फड़कना अशुभ तो वहीं महिलाओं की लेफ्ट आंख और पुरुषों की राइट आंख का फड़कना अशुभ माना जाता है। अर्थात मन, बुद्धि की अस्थिरता से हम विचलित मन से किए गए कार्य के फलस्वरूप हमारे साथ बुरा तो स्थिर मन से किए गए कार्यों के फलस्वरूप हमारे साथ अच्छा होता है।
बहुत से *कौवा* आकर जब घर पर शोर करें तो समझना चाहिए की घर पर चारों ओर से समस्याएं घेरने वाली हैं। अर्थात कौवा प्रतीक है नेगेटिव संकल्पों का जब हमारे मन को अनेकों नेगेटिव संकल्प चारों ओर से घेर लें तो हम स्ट्रेस, एंजायटी, डिप्रेशन में चले जाते हैं और इस मनोस्थिति में हम जो कुछ भी कर्म करते हैं वह नेगेटिव ही होते हैं। जिससे अनेकों नेगेटिव संकल्प रूपी बीज के फलस्वरूप हमारे जीवन में अनेकों तरह से समस्याएं हमें घेरने लगती है।
दोस्तों इस तरह से हमने जाना की कैसे यह कुदरत हमें संकेत देती है। जबकि हमारे साथ कुछ अच्छा या बुरा घटित होने वाला होता है। इसलिए दोस्तों कुदरत के संदेशों को नजर अंदाज कभी ना करें। क्योंकि बड़े बुजुर्ग की कही गई बातें सारगर्भित होती हैं। जिसे आज के जेनरेशन के लोग ना समझ पाने की वजह से उन बातों का मजाक उड़ाते हैं। पर आप सभी तो समझदार हैं। जो निश्चित ही अपने घर के बड़े बुजुर्गों की आदर करते हैं। तभी तो पॉजिटिव कंटेंट के आदी हैं जो यह इस बात की ओर कहीं ना कहीं इशारा करता है की आप धार्मिक प्रवृत्ति के हैं आपके मन में सत्कर्म के प्रति आदर है, तो वहीं बुरे कर्मों का भय भी
तो दोस्तों बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का, हम इसी तरह से और भी रोचक जानकारियां लेकर लेखों के माध्यम से आप सभी के सामने आते रहेंगे।
हम आशा करते हैं, की हमारे द्वारा उपलब्ध करवाई गई जानकारियों आपके लिए कारगर साबित होंगी और आपको खुशहाल जीवन व्यतीत करने में सहायक सिद्ध होंगी।
*स्वरचित रचना*
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