एक बार एक व्यक्ति रास्ते से जा रहा था। उसने देखा एक वृक्ष पर एक पक्षी बैठा है और कुछ बोल रहा है, लेकिन उस व्यक्ति को समझ नहीं आया की पक्षी क्या बोल रहा है? तभी उसी रास्ते से एक पहलवान जा रहा था!
1.व्यक्ति ने पहलवान से पूछा,"क्या आप इस पक्षी की बात समझ सकते हैं और सुन कर मुझे बता सकते हैं, कि ये पक्षी क्या बोल रहा है?" पहलवान ने पक्षी की बोली सुना और कहा ये बोल रहा है दंड-बैठक-कसरत दंड-बैठक-कसरत!
पहलवान को यही समझ में आया! उसको दंड-बैठक-कसरत सुनाई दिया क्योकिं वो यही करता था।
2 .बनिया एक बनिया भी उसी रास्ते से जा रहा था, तो उस व्यक्ति ने बनिए से पूछा," लाला जी क्या आप इस पक्षी की बोली समझ सकते हैं और सुनकर बता सकते हैं कि ये पक्षी क्या बोल रहा है?" बनिए ने सुना और कहा," ये बोल रहा है नमक - तेल - अदरक" "नमक - तेल - अदरक"!
बनिया व्यापारी था तो उसने भी वही सुना जो वो करता है।
3 महात्मा एक महात्मा भी उसी रास्ते से जा रहे थे!! उस व्यक्ति ने फिर से वही प्रश्न महात्मा से पूछा,"कि आप इस पक्षी की बात समझ सकते हैं! सुन कर बताओ की ये पक्षी क्या बोल रहा है?? महात्मा ने सुना और कहा ये बोल रहा है राम नाम अमृत " "राम नाम अमृत!
महात्मा जी सदैव राम नाम का जप करते थे! इसलिए ही तो उन्होंने वही सुना।
एक ही पक्षी की बोली हर एक को अलग-अलग सुनाई दी क्योकिं उन सब की भावनाएँ भी अलग - अलग थी।।
जिस प्रकार, जब भगवान राम विश्वामित्र मुनि के साथ उनके यज्ञ की रक्षा करने के लिए गए, तो महाराजा जनक ने सीता माता जी के विवाह के लिए स्वयंबर आयोजित किया और भगवान राम को भी आमंत्रित किया स्वयंवर में। अनेक राजाओं को बुलाया गया था, तो राम जी ने विश्वामित्र मुनि से पूछा कि क्या मैं लक्ष्मण के साथ नगर भ्रमण को जाऊं?
तब विश्वामित्र मुनि ने आज्ञा दी, हाँ! जरूर जाएँ। तब भगवान् श्री राम और लक्ष्मण को वहां नगर में उपस्थित देख सभी ने भगवान राम जी को अपने मन की भावना के अनुसार ही देखा... वहां की
1, महिलाओं ने उन्हें पति के रूप में पाने की भावना से देखा और
2, जो बलवान पुरुष थे, उन्होंने *राम जी* को एक प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा..!
"जिनकी रही भावना जैसी
*प्रभु मूरत तीनं देखीं तैसी"*