shabd-logo

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022

21 बार देखा गया 21

फ़िर मेरा जन्म हुआ।
मेरे पैदा होने से पहले ही मेरे पिता मेरी मां को छोड़ कर जा चुके थे। कत्ल की आरोपी "खूनी" मां के साथ भला कौन रहता। सिवा मेरे, क्योंकि मैं तो उसके पेट में ही थी।
मेरी मां बताती थी कि एक बड़ा रहमदिल अफ़सर उसे मिला जिसने सब लिखा - पढ़ी करवा कर मेरे जन्म की व्यवस्था भी करवा दी और मुझे मां के साथ जेल में ही रखे जाने की बात भी सरकार और कानून से मनवा दी।
बेटा, अब तक तो मैंने सब सुनी सुनाई कही, पर अब तुझे मेरी आंखों देखी और झेली हुई बताती हूं।
मुझे यहां बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। जब तक नासमझ थी तब तक तो इसी से ख़ुश हो जाती थी कि कोई मुझे गोद में उठा कर पुचकार लेता है तो कोई टॉफी -चॉकलेट का टुकड़ा पकड़ा देता है। पर जैसे जैसे मुझे समझ आती जाती थी मैं समझने लगी थी कि मैं और मां जहां रहते हैं वो दुनिया का गंदा हिस्सा है और काली ज़िन्दगी है हमारी।
मैं आते- जाते लोगों से सुनती थी कि मुझे मां के साथ नहीं रखा जाना चाहिए पर मजबूरी में ऐसा किया गया है क्योंकि इस दुनिया में हमारा कोई नहीं है। मुझे ये सुन कर बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। मैं सोचती थी कि अगर हमारा कोई और भी होता तो मुझे कोई दूसरी अच्छी दुनिया मिलने वाली थी।
बेटा, तुझे एक रहस्य की बात भी बताऊंगी।
मैं तो तुझे और भी बहुत सी बातें बता दूं, जो मेरे साथ हुईं। होती रहीं। पर मुझे लगता है कि तू बिना बताए भी समझ ही लेगा, आख़िर तू भी तो एक मर्द ही है न। जाने दे, फ़िर क्या बताना। ऐसा होता ही होगा। दुनिया यही है।
हमारी जेल का कोई - कोई संतरी बड़ा अच्छा आदमी होता था। वो कभी - कभी ताला खोल कर मुझे थोड़ी देर बाहर भी खेलने देता था। कभी- कभी खुद भी मेरे साथ खेलता था।
मैं उसे बताती- बाबा मैंने टॉफी खाई तो झट से मेरे मुंह को अंगुली से खोल कर पूछने लगता, कहां से खाई, कहां से खाई। मैं हंसने लगती थी।
एक दिन मैं जेल की इमारत के बाहर खेल रही थी। मैंने एक छोटा सा मिट्टी का घर भी बनाया था। मैं अकेली ही थी। तभी मैंने कुछ दूरी पर एक बड़ी सी गाड़ी को रुकते देखा।
एक दिन बहुत सारे लोग हमारे जेल को देखने आए। वो बहुत अच्छे लोग थे। देखने में बहुत साफ सुथरे और अच्छे अच्छे कपड़े पहनने वाले।
मैं जान गई कि ये सब लोग तो घूमने फिरने आए होंगे। क्योंकि हमारे साथ रहने ऐसे लोग नहीं आते थे। मेरी मां जिस गैलरी में बनी कोठरी में रहती थी वहां तो एक मौसी हमेशा पहरे पर रहती थी। पर मैं खेलती- खेलती यहां तक आ जाती थी इसलिए मैंने उन अच्छे लोगों को देख लिया।
उन लोगों के साथ आई एक आंटी ने तो मेरे पास आकर मुझसे बात करने की कोशिश भी की।
पर गड़बड़ हो गई।
अब तुझे क्या बताऊं, मैं नहाई तो थी नहीं। ऊपर से इतनी देर से मिट्टी में खेल रही थी। इतने में मुझे ज़ोर से छींक आ गई।
छींक आते ही मेरी नाक से बहुत सारी गंदगी निकल कर मेरे होठ के ऊपर बहने लगी। वो आंटी मेरे पास आती- आती एकदम से रुकी और फ़िर कुछ अजीब सा मुंह बनाती हुई वापस लौट गई।
मैंने हथेली से अपना मुंह साफ किया, फ्रॉक से हथेली को साफ़ किया, कलाई से फ्रॉक को साफ किया, फ़िर थोड़ी सी मिट्टी से कलाई को साफ कर लिया। पर तब तक आंटी रुकी नहीं। मैं मायूस होकर रुआंसी हो गई।
पर वो लोग तो सचमुच बहुत अच्छे निकले।


16
रचनाएँ
आ जा, मर गया तू?
0.0
यह किताब बारह भाषाओं में प्रकाशित बहुचर्चित उपन्यास "जल तू जलाल तू" के दो पात्रों के मानस संचार पर आधारित है जो मां बेटा हैं। कथानक में मां बेटे को बचाने की कोशिश में दिवंगत हो जाती है। फिर कालांतर में बेटे की मृत्यु होने पर वह उसे एक पत्र लिख कर सारी बात का ब्यौरा देती है और बताती है कि वह उसका इंतजार यहां करती रही है, और अब उसके मर कर यहां आने पर खुश है।
1

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
5
0
0

मैं बरसों से चुप हूं। कुछ नहीं बोली। बोलती भी क्या? न जाने ये सब कैसे हो गया। मैं मर ही गई। मैं यहां परलोक में आ गई। तू वहीं रह गया था दुनिया में। मैं अभागी तो रो भी न सकी। कैसे रोती? दुनिया कहती कि क

2

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
3
0
0

वो कौन थी? वो मेरी मां थी। बताया ना। बहुत मुश्किल जगह में रहती थी। सब सोचेंगे कि ये मुश्किल जगह क्या होती है। जगह या तो ठंडी होती है, या गर्म। ज़्यादा बरसात वाली होती है। पथरीली, बंजर, पहाड़ी, मैदानी.

3

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
3
0
0

फ़िर मेरा जन्म हुआ। मेरे पैदा होने से पहले ही मेरे पिता मेरी मां को छोड़ कर जा चुके थे। कत्ल की आरोपी "खूनी" मां के साथ भला कौन रहता। सिवा मेरे, क्योंकि मैं तो उसके पेट में ही थी। मेरी मां बताती थी कि

4

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
3
0
0

कुछ ही दिनों में मेरी ज़िन्दगी में एक बहुत मज़ेदार दिन आया। मैं आज भी पूरे दिन इस मज़ेदार दिन की बातें चटखारे लेकर करती रह सकती हूं। ये था ही ऐसा। मेरे जीवन का एक अहम दिन। इस दिन मैंने एक साथ सुख और द

5

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
3
0
0

ये समय मेरे लिए तेज़ी से बदलने का था। बहुत सी बातें ऐसी थीं जिनमें मैं अपनी मां के साथ रहते- रहते काफ़ी बड़ी हो गई थी। अब मम्मी के साथ आकर मैं फ़िर से बच्ची बन गई। दूसरी तरफ कई बातें ऐसी भी थीं जिनमें

6

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

जॉनसन से मेरी शादी हो गई। और संयोग देखो, शादी के बाद तुरंत ही एक बार फ़िर मेरा देश छूट गया। हम अमरीका आ गए। जॉनसन ने मेरा सब कुछ बदल दिया। वो बहुत प्यारा इंसान था। उसने मेरा मुल्क तो बदला ही, मेरा नाम

7

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

तू धीरे- धीरे बड़ा होने लगा और तुझे देख देख कर ज़िन्दगी पर मेरा भरोसा बढ़ने लगा। मैं ख़ुश रहने लगी। ये कितनी अजीब बात है न? इमारतें, सड़कें, पुल, झीलें, झरने, बग़ीचे, बाज़ार, मोटर, रेल, दुकानें, खेत..

8

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

मैं सतर्क हो गई। मैंने मन में ठान लिया कि तुझे इस नासमझी से रोकना ही है। अब मैं तेरी हर छोटी से छोटी बात पर नज़र रखने लगी। तुझे पता न चले, इस बात का ख्याल रखते हुए भी मैं तुझ पर निगाह गढ़ाए रहने लगी।

9

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

कभी - कभी मुझे तुझ पर जबरदस्त गुस्सा आ जाता था। मैं सोचती, आख़िर तेरी मां हूं। तुझसे इतना क्यों डरूं? एक ज़ोर का थप्पड़ रसीद करूं तेरे गाल पर, और कहूं- खबरदार जो ऐसी उल्टी- सीधी बातों में टाइम खराब कि

10

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

बेटा फ़िर एक दिन मैंने सोचा कि तूने तो अपने पिता को भी ढंग से नहीं देखा। तू तो छोटा सा ही था कि वो अचानक हम सब को छोड़ कर इस दुनिया से ही चले गए। तू भी तो मन ही मन उन्हें मिस करता होगा। अपने दूसरे दोस

11

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

किंजान! बेटा बुढ़ापे को तो सब बेकार समझते हैं। है न! युवा लोग तो बूढ़े होना ही नहीं चाहते। उन्हें लगता है कि ये भी क्या कोई ज़िन्दगी है? बाल उड़ जाएं, दांत झड़ जाएं। हाथ कांपें, पैर लड़खड़ाएं। शायद इस

12

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

छी- छी... हे भगवान! ये मैंने क्या किया? हे मेरे परमात्मा, तू ही कोई पर्दा डाल देता मेरी आंखों पर। ऐसा मंजर तो न देखती मैं! पर तुझे क्या कहूं, ग़लती तो मेरी ही थी सारी। मैं क्या करूं, मैं खुद भी अपने ब

13

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

अब जो हो गया सो तो हो गया। उसे तो मैं बदल नहीं सकती थी। विधाता मुझे जो सज़ा देगा वो तो भुगतूंगी ही। अपराध तो था ही। कहते हैं कि दुनिया में सबसे बड़ा दुःख है अपनी औलाद का मरा मुंह देखना। पर बेटा, दुनिय

14

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

नहीं। मेरी बात नहीं मानी उस लड़की ने। वो तो उल्टे मुझे ही समझाने बैठ गई। बोली- आंटी, मैं उसके मिशन में उसका साथ देने के लिए उसकी मित्र बनी हूं, उसे रोकने के लिए नहीं। वो बोली- "मुझे आपके बेटे का यही स

15

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

अब ये बात बहुत पीछे छूट गई कि मैं तुझे जान पर खेलकर नायग्रा झरना पार करने से रोक पाऊंगी। मैं हार गई थी। तू अपनी नाव पर किसी रसायन का लेप लगवाने के लिए न्यूयॉर्क जाकर आया था। हडसन में तेरे काफ़िले को ह

16

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

चल बेटा, अब बंद करती हूं। मैं ये तो नहीं कहूंगी कि तू मेरी ज़िंदगी से कोई सीख ले, पर ये ज़रूर कहूंगी कि मेरी ज़िंदगी ने ख़ुद मुझे बहुत सिखाया। वैसे भी, ये बेकार की बातें हैं कि दूसरों के जीवन से हम बह

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए