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ज़बाने यार मन तुर्की (अभिनेत्री साधना की कहानी)

प्रबोध कुमार गोविल

19 अध्याय
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पाकिस्तान से भारत आकर फिल्मी दुनिया में प्रवेश करने के संघर्ष को चित्रित करती ऐसी कहानी जिसने फिल्मी दुनिया में सफलता का नया इतिहास रचा। ऐसी लड़की की दास्तान जो अपने दम पर फिल्म उद्योग की अपने समय की सर्वाधिक मेहनताना पाने वाली लोकप्रिय अभिनेत्री बनी तथा उसने देश की लोकप्रिय फैशन आइकॉन का दर्जा पाया। उसे मिस्ट्री गर्ल का खिताब दिया गया। 

j'baane yaar mn turkii abhinetrii saadhnaa kii khaanii

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पुस्तक के भाग

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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- आप बाहर बैठिए, बच्ची को क्लास में भेज दीजिए। चिंता मत कीजिए, इतनी छोटी भी नहीं है। हैड मिस्ट्रेस ने कहा। बच्ची ने हाथ हिला कर मां को "बाय" कहा और क्लास की ओर दौड़ गई। हैड मिस्ट्रेस फ़िर मां से मुखात

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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साधना का परिवार पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आया था। वो सिंधी थी। देश के विभाजन के बाद ज़्यादातर फिल्मी लोग पाकिस्तान से आए कलाकारों को फिल्मों में काम दे रहे थे। इसके कई कारण थे। वहां से आने वाले ज़्य

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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एक बार एक महिला पत्रकार को किसी कारण से मीना कुमारी के साथ कुछ घंटे रहने का मौक़ा मिला। ढेरों बातें हुईं। पत्रकार महिला ने बातों बातों में मीना कुमारी से पूछा - आजकल आने वाली नई पीढ़ी की अभिनेत्रियों

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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साधना को फ़िल्म जगत में "मिस्ट्री गर्ल" अर्थात रहस्यमयी युवती का खिताब तत्कालीन मीडिया ने दे दिया। ज़्यादातर लोग यही समझते हैं कि उन्हें ये खिताब उनकी बेहतरीन फ़िल्म "वो कौन थी" में एक रहस्यमयी लड़की

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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कहते हैं कि मां- बाप हमेशा औलाद का भला ही सोचते हैं। जिन माता- पिता ने छः साल पहले साधना को अपने प्रेमी आर के नय्यर से विवाह करने की अनुमति ये कह कर नहीं दी थी कि प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं, प्यार

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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राजकपूर ने कुछ सोचते हुए प्लेट से एक टुकड़ा उठाया, लेकिन फ़िर बिना खाए उसे वापस रख दिया। फ़िर वो स्पॉटबॉय से बोले- मैडम से कहो, मैं बुला रहा हूं। लड़का झटपट गया और पलक झपकते ही वापस आ गया। उसके पीछे प

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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फ़िल्म "दूल्हा दुल्हन" की रिलीज़ के बाद एक महिला पत्रकार साधना का इंटरव्यू लेने आई। ये कई बार लिख कर अब तक साधना की फैन और सहेली बन चुकी थी। फ़िल्म को दो बार देख भी आई थी। इसने काफ़ी देर तक साधना के स

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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आम तौर पर फिल्मस्टारों को अपनी तरफ से कुछ बोलने का अभ्यास नहीं होता, क्योंकि उन्हें संवाद लेखक के लिखे संवाद बोलने के लिए दिए जाते हैं। लेकिन उस दिन पार्टी के बाद चढ़ती रात के आलम में हिंदुस्तान के फ़

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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सिनेमा हॉल भी थे, कहानियां भी थीं और फ़िल्में देखने वाले भी थे। पर साधना नहीं दिखाई दे रही थीं। उनकी आवा- जाही अब कैमरे और लाइटों के सामने नहीं, वरन् डॉक्टरों और विदेशी क्लीनिकों में हो गई थी। उनकी सम

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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दौड़ ख़त्म हो गई थी। दुनिया के लिए नहीं, साधना के लिए। लेकिन दुनिया के मेले यूं आहिस्ता से छोड़ जाने के लिए भी तो दिल नहीं मानता। हर कोई चाहता है, अच्छा बस एक मौक़ा और! उन्नीस सौ सत्तर आ जाने के बाद य

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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एक बार साधना से एक इंटरव्यू में एक फ़िल्म पत्रकार ने पूछा- मैडम, लोग कहते हैं कि फ़िल्म का निर्देशन करना औरतों का काम नहीं है, इसे पुरुष ही कर सकते हैं। इस कथन पर आपकी राय क्या है, आप एक अत्यधिक सफल अ

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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"जिसने डाली, बुरी नज़र डाली", अच्छी सूरत की यही कहानी है! लोग दुश्मन हो जाते हैं! आते - जाते हुए जहां लोगों ने आपको देखा कि बस, उनके मन में जलन के तपते शरारों का दहकना शुरू हो जाता है - राधा क्यों गोर

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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लोगों का एक सवाल और था। जब माधुरी पत्रिका ने पाठकों की पसंद से साल के नवरत्न चुनने शुरू किए तो पहले ही साल राजेश खन्ना के साथ नायकों में दूसरे नंबर पर जीतेन्द्र को चुना गया था। जीतेन्द्र हिंदी फ़िल्म

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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जिस समय "महफ़िल" रिलीज़ हुई, ये वो समय था जब लोग कह रहे थे कि राजेश खन्ना का ज़माना गया, अब तो सुपरस्टार अमिताभ बच्चन है। जिस समय महफ़िल बननी शुरू हुई, वो समय था जब आराधना, दो रास्ते, दुश्मन जैस

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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राजेन्द्र कुमार ने "निस्बत" की जो कहानी पसंद की थी, उसकी सबसे विशेष बात ये थी कि इसमें उस महिला का पात्र, जिससे पहले राजेन्द्र कुमार प्यार करते हैं, और बाद में उनका बेटा कुमार गौरव, साधना के लिए ही ख़

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं। ये किसी से कहती है : "बिगड़ी बात बने नहीं, लाख करो तिन कोय" तो किसी से कहती है : "कोशिश करने वालों की हार नहीं होती!" साधना से उनके अनुभव ने क्या कहा, आइए सुनते हैं। - "हम

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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लंबी बीमारी के इलाज के बाद अमेरिका के बॉस्टन शहर से साधना जब से लौटीं, तब से उनका थायराइड तो नियंत्रण में आ गया था पर आखों के रोग के बाद दवाओं की अधिकता ने अब बढ़ती उम्र के साथ सेहत का तालमेल बैठा पान

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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पिछली सदी में खूबसूरत और प्रतिभाशाली अभिनेत्री साधना का सक्रिय कार्यकाल लगभग पंद्रह साल रहा। किन्तु उनके फ़िल्मों से संन्यास के लगभग चालीस वर्ष गुज़र जाने के बाद भी उनकी फ़िल्मों को भुलाया नहीं

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ज़बाने यार मन तुर्की

4 अगस्त 2022
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मुंबई की कलानिकेतन साड़ीशॉप उस समय महानगर की सबसे बड़ी और लोकप्रिय दुकान थी। एक दोपहरी, न जाने क्या हुआ कि आसपास से सब लोग इस शोरूम के सामने इकट्ठे होने लगे। जिसे देखो, वही कलानिकेतन की ओर देखता हुआ

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