shabd-logo

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022

15 बार देखा गया 15

नहीं। मेरी बात नहीं मानी उस लड़की ने। वो तो उल्टे मुझे ही समझाने बैठ गई। बोली- आंटी, मैं उसके मिशन में उसका साथ देने के लिए उसकी मित्र बनी हूं, उसे रोकने के लिए नहीं।
वो बोली- "मुझे आपके बेटे का यही साहस तो लुभाता है कि वो छोटी सी उम्र में दुनिया जीतने का ख़्वाब देखता है। ज़िन्दगी जान बचाने में नहीं है आंटी, बल्कि जान की बाज़ी लगा देने में है। वो ज़रूर कामयाब होगा। आपने देखा नहीं उसका जज़्बा? सब उसे हेल्प कर रहे हैं। और आप मां होकर भी उसका रास्ता रोक रही हैं।"
लो, ये तो उल्टे मुझे ही अपराधी ठहराने लगी। मैंने तड़प कर कहा- बेटी मैं उसकी मां हूं न, इसीलिए मैं उसे खोने से डरती हूं। तुम सब लोग उसकी शहादत पर गर्व कर सकते हो पर मैं तो तभी बचूंगी न जब वो बचेगा। ज़िंदा रहेगा। मेरी जीत तो उसकी ज़िन्दगी में ही  है। मैंने मुश्किल से तो उसका ध्यान सेना में जाने से हटाया है। इसके पिता को मैं पहले ही फ़ौज में देकर खो चुकी हूं। अब मुझसे दोबारा ऐसी दिलेरी की आशा तो मत रखो तुम लोग!
मैं लगभग रो ही तो पड़ी थी।
लेकिन लड़की चली गई। बोली थी- सॉरी आंटी, मैं अपने दोस्त को अपने सपने से दूर होने के लिए नहीं कह सकती।
मैं मायूस होने लगी। मुझे लगा कि अब तो पानी सिर के ऊपर से गुजरता जा रहा है। हार कर मैंने अपने भाई, तेरे मामा की सहायता लेने का विचार बनाया। मेरा भाई उन दिनों लेबनॉन में था। लेकिन मैं जानती थी कि मेरे बुलाने पर वो ज़रूर आएगा।
मैंने उसे बुला लिया। इतना ही नहीं, बल्कि तुझे कोई शक न हो इसलिए मैंने उससे घोड़ा खरीदने की पेशकश की। तू उसे जानता कहां था। कभी पहले तू उससे मिला भी तो नहीं था।
मैंने तुझे उसकी असलियत बताए बिना उसे घर आने का न्यौता दे दिया।
मुझे लगता था कि उसके यहां रहने से मुझे कुछ हिम्मत रहेगी। वह एक उम्दा नस्ल का सफ़ेद खूबसूरत सा घोड़ा ले आया।
मैं पगली न जाने क्या - क्या सोचती रहती थी। मुझे लगता था कि जब तू अपनी नाव लेकर नदी में जाएगा और झरने के साथ- साथ ऊपर से नीचे आयेगा तो मैं भी घोड़े पर सवार होकर तेरे साथ -साथ तेरा पीछा करूंगी। और जिस क्षण तुझे विफल होते देखूंगी या किसी खतरे में आया जानूंगी तभी मैं भी प्राण त्याग दूंगी।
मैं सुबह के समय भाई के साथ जाकर घुड़सवारी करने भी लगी। मैं अपनी जवानी के दिनों में शादी से पहले भी कभी - कभी घोड़ा चलाना सीखती रही थी बेटा। तेरे पिता से मिलने के बाद तो मुझमें और भी हिम्मत आ गई थी। मैं उनसे कहा करती थी कि जब आप सेना में जान से खेल कर दुश्मन से युद्ध करते हो तो मैं किस बात से डरूं!
मेरा भाई कभी - कभी फ़ौज में घोड़े सप्लाई करने पहले भी आया करता था। पानी के जहाज से कई दिनों का सफर करके वो और उसके साथी आया करते थे।
मैं कभी- कभी तेरी मुहिम से तेरा ध्यान हटाने के लिए तुझे भी लालच देती थी कि चल, छोड़ झरने और नाव का चक्कर, हम लोग रेसकोर्स के लिए अपने घोड़े तैयार करेंगे।
पर तू भी तो तू था। मेरी एक न सुनता।


16
रचनाएँ
आ जा, मर गया तू?
0.0
यह किताब बारह भाषाओं में प्रकाशित बहुचर्चित उपन्यास "जल तू जलाल तू" के दो पात्रों के मानस संचार पर आधारित है जो मां बेटा हैं। कथानक में मां बेटे को बचाने की कोशिश में दिवंगत हो जाती है। फिर कालांतर में बेटे की मृत्यु होने पर वह उसे एक पत्र लिख कर सारी बात का ब्यौरा देती है और बताती है कि वह उसका इंतजार यहां करती रही है, और अब उसके मर कर यहां आने पर खुश है।
1

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
5
0
0

मैं बरसों से चुप हूं। कुछ नहीं बोली। बोलती भी क्या? न जाने ये सब कैसे हो गया। मैं मर ही गई। मैं यहां परलोक में आ गई। तू वहीं रह गया था दुनिया में। मैं अभागी तो रो भी न सकी। कैसे रोती? दुनिया कहती कि क

2

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
3
0
0

वो कौन थी? वो मेरी मां थी। बताया ना। बहुत मुश्किल जगह में रहती थी। सब सोचेंगे कि ये मुश्किल जगह क्या होती है। जगह या तो ठंडी होती है, या गर्म। ज़्यादा बरसात वाली होती है। पथरीली, बंजर, पहाड़ी, मैदानी.

3

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
3
0
0

फ़िर मेरा जन्म हुआ। मेरे पैदा होने से पहले ही मेरे पिता मेरी मां को छोड़ कर जा चुके थे। कत्ल की आरोपी "खूनी" मां के साथ भला कौन रहता। सिवा मेरे, क्योंकि मैं तो उसके पेट में ही थी। मेरी मां बताती थी कि

4

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
3
0
0

कुछ ही दिनों में मेरी ज़िन्दगी में एक बहुत मज़ेदार दिन आया। मैं आज भी पूरे दिन इस मज़ेदार दिन की बातें चटखारे लेकर करती रह सकती हूं। ये था ही ऐसा। मेरे जीवन का एक अहम दिन। इस दिन मैंने एक साथ सुख और द

5

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
3
0
0

ये समय मेरे लिए तेज़ी से बदलने का था। बहुत सी बातें ऐसी थीं जिनमें मैं अपनी मां के साथ रहते- रहते काफ़ी बड़ी हो गई थी। अब मम्मी के साथ आकर मैं फ़िर से बच्ची बन गई। दूसरी तरफ कई बातें ऐसी भी थीं जिनमें

6

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

जॉनसन से मेरी शादी हो गई। और संयोग देखो, शादी के बाद तुरंत ही एक बार फ़िर मेरा देश छूट गया। हम अमरीका आ गए। जॉनसन ने मेरा सब कुछ बदल दिया। वो बहुत प्यारा इंसान था। उसने मेरा मुल्क तो बदला ही, मेरा नाम

7

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

तू धीरे- धीरे बड़ा होने लगा और तुझे देख देख कर ज़िन्दगी पर मेरा भरोसा बढ़ने लगा। मैं ख़ुश रहने लगी। ये कितनी अजीब बात है न? इमारतें, सड़कें, पुल, झीलें, झरने, बग़ीचे, बाज़ार, मोटर, रेल, दुकानें, खेत..

8

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

मैं सतर्क हो गई। मैंने मन में ठान लिया कि तुझे इस नासमझी से रोकना ही है। अब मैं तेरी हर छोटी से छोटी बात पर नज़र रखने लगी। तुझे पता न चले, इस बात का ख्याल रखते हुए भी मैं तुझ पर निगाह गढ़ाए रहने लगी।

9

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

कभी - कभी मुझे तुझ पर जबरदस्त गुस्सा आ जाता था। मैं सोचती, आख़िर तेरी मां हूं। तुझसे इतना क्यों डरूं? एक ज़ोर का थप्पड़ रसीद करूं तेरे गाल पर, और कहूं- खबरदार जो ऐसी उल्टी- सीधी बातों में टाइम खराब कि

10

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

बेटा फ़िर एक दिन मैंने सोचा कि तूने तो अपने पिता को भी ढंग से नहीं देखा। तू तो छोटा सा ही था कि वो अचानक हम सब को छोड़ कर इस दुनिया से ही चले गए। तू भी तो मन ही मन उन्हें मिस करता होगा। अपने दूसरे दोस

11

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

किंजान! बेटा बुढ़ापे को तो सब बेकार समझते हैं। है न! युवा लोग तो बूढ़े होना ही नहीं चाहते। उन्हें लगता है कि ये भी क्या कोई ज़िन्दगी है? बाल उड़ जाएं, दांत झड़ जाएं। हाथ कांपें, पैर लड़खड़ाएं। शायद इस

12

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

छी- छी... हे भगवान! ये मैंने क्या किया? हे मेरे परमात्मा, तू ही कोई पर्दा डाल देता मेरी आंखों पर। ऐसा मंजर तो न देखती मैं! पर तुझे क्या कहूं, ग़लती तो मेरी ही थी सारी। मैं क्या करूं, मैं खुद भी अपने ब

13

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

अब जो हो गया सो तो हो गया। उसे तो मैं बदल नहीं सकती थी। विधाता मुझे जो सज़ा देगा वो तो भुगतूंगी ही। अपराध तो था ही। कहते हैं कि दुनिया में सबसे बड़ा दुःख है अपनी औलाद का मरा मुंह देखना। पर बेटा, दुनिय

14

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

नहीं। मेरी बात नहीं मानी उस लड़की ने। वो तो उल्टे मुझे ही समझाने बैठ गई। बोली- आंटी, मैं उसके मिशन में उसका साथ देने के लिए उसकी मित्र बनी हूं, उसे रोकने के लिए नहीं। वो बोली- "मुझे आपके बेटे का यही स

15

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

अब ये बात बहुत पीछे छूट गई कि मैं तुझे जान पर खेलकर नायग्रा झरना पार करने से रोक पाऊंगी। मैं हार गई थी। तू अपनी नाव पर किसी रसायन का लेप लगवाने के लिए न्यूयॉर्क जाकर आया था। हडसन में तेरे काफ़िले को ह

16

आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022
1
0
0

चल बेटा, अब बंद करती हूं। मैं ये तो नहीं कहूंगी कि तू मेरी ज़िंदगी से कोई सीख ले, पर ये ज़रूर कहूंगी कि मेरी ज़िंदगी ने ख़ुद मुझे बहुत सिखाया। वैसे भी, ये बेकार की बातें हैं कि दूसरों के जीवन से हम बह

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए