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आ जा मर गया तू?

6 अगस्त 2022

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तू धीरे- धीरे बड़ा होने लगा और तुझे देख देख कर ज़िन्दगी पर मेरा भरोसा बढ़ने लगा। मैं ख़ुश रहने लगी। ये कितनी अजीब बात है न? इमारतें, सड़कें, पुल, झीलें, झरने, बग़ीचे, बाज़ार, मोटर, रेल, दुकानें, खेत... ये सब हमें और भी अच्छे लगने लगते हैं जब हमारे साथ कोई प्यारा सा अपना हो। हर काम में जी जुड़ता है। खाने- चहकने- खिलखिलाने की इच्छा होती है।
देखते देखते तू स्वस्थ सुंदर किशोर बनने लगा। मेरी ढलती हुई युवावस्था और तेरे पिता की मजबूती जैसे हम से निकल कर तेरे बदन में समाने लगी।
दुनिया भी खूब है। शरीर भी अपनों में अंतरित हो जाते हैं। दुनिया से जाओ तो अपने बदन से नया इंसान बना कर छोड़ जाओ।
तभी एक दिन मुझे तेरे एक दोस्त और तेरी बातचीत सुन कर एक झटका सा लगा।
मुझे पता चला कि तू हमारे घर के लिए एक जोखिम भरा ख़तरा पैदा कर रहा है।
मैं तो मन ही मन ये ठान चुकी थी कि तुझे सेना में नहीं भेजूंगी। मैंने इसके लिए मन ही मन तेरे दिवंगत पिता से माफ़ी भी मांग ली थी।
लेकिन तू तो और भी बड़ा ख़तरा पाल रहा था।
मुझे पता चला कि तू अमेरिका के सबसे बड़े पानी के झरने नियाग्रा फॉल्स पर जाता है। इतना ही नहीं बल्कि तेरे भीतर कहीं इस विशाल जलप्रपात को पार करने की लालसा पनप रही है।
दुस्साहस! बेहद ख़तरनाक कारनामा। तूफ़ान की तरह बहते पानी के जलजले में अपनी नाव लेकर जाओ और इसे सैकड़ों फीट की ऊंचाई से नीचे गिरते पानी में झौंक कर नीचे बहती नदी में लाओ!
मैं बुरी तरह सहम गई। मेरा दिल दहल गया।
तेरे पिता कभी सेना में ख़तरों से खेलते थे तो देश की रक्षा और स्वाभिमान के लिए। पर तू तो केवल अपने नाम के लिए मरने के रास्ते पर चल पड़ा था।
मैं बेचैन हो गई।
मैंने सोचा कि पहले ये पता तो लगाऊं कि तुझ पर ये अजीबो - गरीब जुनून सवार हुआ कैसे? ये ख्याल तुझे आया ही क्यों?
पहले मैंने सोचा कि तेरे दोस्त अर्नेस्ट से पूंछू। वो ही मुझे इस बारे में कुछ बता सकता था क्योंकि तू उसे बचपन से ही अपना बेस्ट फ्रेंड कहता था।
लेकिन फ़िर मैंने सोचा कि यदि मैं उससे कुछ कहूंगी तो वो तुझे बता ही देगा। और फ़िर कहीं तू ये न सोचे कि मैं तेरे काम में बाधा डाल रही हूं।
इसलिए मैंने सोचा कि पहले मैं खुद ये पता तो लगाऊं कि ये बस तेरा फितूर ही है या मिशन बन चुका है। हो सकता है कि थोड़े दिन बाद ये जोश ख़ुद ब ख़ुद ठंडा हो जाए और तू ये सब छोड़ दे।
मैं मुस्तैदी से तेरे इरादे पर नज़र रखने लगी। बेटा, मुझे माफ़ कर दे, मैं तेरी जासूसी करने लगी।
जल्दी ही मैंने पता लगा लिया कि तू अपने दोस्तों के साथ फॉल्स पर घूमने जाता था न, वहीं एक म्यूज़ियम में कुछ ऐसे लोगों के नाम की सूची लगी है जिन्होंने पहले कभी इस झरने को पार करने की कोशिश की पर सफ़ल नहीं हो सके।
मुझे सब पता है। तूने अपने दोस्तों के सामने शेखी बघारने के लिए शान- शान में ये कह दिया कि तू ये काम कर के दिखाएगा। है न?
शैतान!!!


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रचनाएँ
आ जा, मर गया तू?
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यह किताब बारह भाषाओं में प्रकाशित बहुचर्चित उपन्यास "जल तू जलाल तू" के दो पात्रों के मानस संचार पर आधारित है जो मां बेटा हैं। कथानक में मां बेटे को बचाने की कोशिश में दिवंगत हो जाती है। फिर कालांतर में बेटे की मृत्यु होने पर वह उसे एक पत्र लिख कर सारी बात का ब्यौरा देती है और बताती है कि वह उसका इंतजार यहां करती रही है, और अब उसके मर कर यहां आने पर खुश है।
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किंजान! बेटा बुढ़ापे को तो सब बेकार समझते हैं। है न! युवा लोग तो बूढ़े होना ही नहीं चाहते। उन्हें लगता है कि ये भी क्या कोई ज़िन्दगी है? बाल उड़ जाएं, दांत झड़ जाएं। हाथ कांपें, पैर लड़खड़ाएं। शायद इस

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छी- छी... हे भगवान! ये मैंने क्या किया? हे मेरे परमात्मा, तू ही कोई पर्दा डाल देता मेरी आंखों पर। ऐसा मंजर तो न देखती मैं! पर तुझे क्या कहूं, ग़लती तो मेरी ही थी सारी। मैं क्या करूं, मैं खुद भी अपने ब

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अब जो हो गया सो तो हो गया। उसे तो मैं बदल नहीं सकती थी। विधाता मुझे जो सज़ा देगा वो तो भुगतूंगी ही। अपराध तो था ही। कहते हैं कि दुनिया में सबसे बड़ा दुःख है अपनी औलाद का मरा मुंह देखना। पर बेटा, दुनिय

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नहीं। मेरी बात नहीं मानी उस लड़की ने। वो तो उल्टे मुझे ही समझाने बैठ गई। बोली- आंटी, मैं उसके मिशन में उसका साथ देने के लिए उसकी मित्र बनी हूं, उसे रोकने के लिए नहीं। वो बोली- "मुझे आपके बेटे का यही स

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अब ये बात बहुत पीछे छूट गई कि मैं तुझे जान पर खेलकर नायग्रा झरना पार करने से रोक पाऊंगी। मैं हार गई थी। तू अपनी नाव पर किसी रसायन का लेप लगवाने के लिए न्यूयॉर्क जाकर आया था। हडसन में तेरे काफ़िले को ह

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चल बेटा, अब बंद करती हूं। मैं ये तो नहीं कहूंगी कि तू मेरी ज़िंदगी से कोई सीख ले, पर ये ज़रूर कहूंगी कि मेरी ज़िंदगी ने ख़ुद मुझे बहुत सिखाया। वैसे भी, ये बेकार की बातें हैं कि दूसरों के जीवन से हम बह

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