किसका बदन सिहर नहीं उठता जलियांवाला बाग का नाम सुनकर? ऐसा कोई हिंदुस्तानी नहीं, जो अंग्रेजों के प्रति घृणा से भर नहीं उठता होगा जलियांवाला बाग का नाम सुनकर। पर उधम सिंह जैसे देश के वीर सपूत ने अंग्रेजों की इस कायरता का भरपूर जवाब दिया। देश में भगत सिंह और आजाद जैसे राष्ट्रवादी क्रांतिकारियों की पूरी टोली ने अंग्रेजों का जड़ उखाड़ने में खुद को झोंक दिया, तो आज ही के दिन अंग्रेजों की फांसी पर इंग्लैंड में झूल जाने वाले सरदार उधम सिंह ने इसका बदला अंग्रेजों की सरजमी पर जाकर लिया, वो भी 21 सालों के बाद।
सरदार उधम सिंह ने जलियांवाला बाग नरसंहार के समय पंजाब के गवर्नर रहे माइकल ओ डायर को उसी की सरजमीं पर गोलियों से भून डाला। और ठीक सरदार भगत सिंह के अंदाज में आत्मसर्मपण कर दिया। खास बात तो ये थी कि उन्होंने माइकल ओ डायर के अलावा किसी को निशाना नहीं बनाया, क्योंकि वहां पर महिलाएं और बच्चे भी थे। अंग्रेजों ने फांसी की सजा की सुनवाई के दौरान जब उधम सिंह से पूछा कि उन्होंने किसी और को गोली क्यों नहीं मारी, तो वीर उधम सिंह का जवाब था कि सच्चा हिंदुस्तानी कभी महिलाओं और बच्चों पर हथियार नहीं उठाते। ऐसे थे हमारे शहीद-ए-आजम सरदार उधम सिंह।
उधम को बाद में शहीद-ए-आजम की वही उपाधि दी गई,