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जलपरी

10 दिसम्बर 2021

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जलपरी

यह कहानी सच्ची घटना से प्रेरित हैं। जो एक नैतिक शिक्षा पर बनी हैं। यह कहानी आपके द्वारा बचपनमे पढ़ी गई कहानी के आगे का भाग हैं। जो आज कल घटित हो रही हैं।

पानी के बहुत ही नीचे, जलपरी अपने घर वापिस आती हैं। जलपरी बहुत उदास हैं, उसके माता पिता पूछते हैं क्या हुआ। जलपरी बताती हैं। " इस दुनियां को क्या हो गया हैं, सभी लालची होते जा रहें हैं, लालची हो तो कोई बात नहीं, लेक़िन जो दयालु हैं, नेक हैं,  उसको बेवकूफ़ क्यों बनाते हैं और उसे बेवक़ूफ़ क्यों समझते हैं। "

" क्या हुआ बेटा, ज़रा साफ़ साफ़ बताओ ?" जलपरी के पिताजी पूछते हैं।

जलपरी बताती हैं " मैंने एक सच्चे, भले, परेशान लकड़हारे की मदद की, उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई थी। मैंने उसे सोने, चांदी की कुल्हाड़ी दी। उस लकड़हारे ने सिर्फ़ अपनी लोहे की कुल्हाड़ी माँगी, जो उसका था।
तो मैंने उसके ईमानदारी पर ख़ुश हो कर, उसे सोने चांदी की कुल्हाड़ी भी दे दी। "

"तो फिर बेटी ,दिक्कत कहा हो गई, कोई बात नहीं हमारे पास सोने चाँदी की कमी थोड़ी हैं। " जलपरी की माताजी ने कहा।

जलपरी " दिक्कत यह हैं माँ की उस लकड़हारे ने मेरी , नेकी, मेरे अच्छे काम को और मैं दयालु हूँ, यह पूरे गाँव को बता दिया। अब हर रोज़ एक आदमी अपनी कुल्हाड़ी गिरा कर नदी के पास रोता रहता हैं।"
जलपरी के माता पिता बहुत हँसते हैं।
और कहतें हैं " कोई बात नहीं बेटी तुम इन बातों को नजरअंदाज करो, और ख़ुश रहो। "

जलपरी " मुझें नेक काम करने में अच्छा लगता हैं, मैं ख़ुद लोगों की मदद करना चाहतीं हूँ ,लोगो की परेशानी दूर करना चाहतीं हूँ, लेक़िन लोग अपनी परेशानी बताए तब ना, लोग तो मुझ जलपरी को बेवक़ूफ़ जलपरी समझ कर एक ही तरह से मुझें लूटना चाहते हैं। इस बात से मुझें गुस्सा आ रहा हैं और मैं उदास हूँ। "

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यह कहानी सच्ची घटना से प्रेरित हैं जो मेरे साथ घटी है।
किसी ने जब मैं प्रॉब्लम में था, तो मेरी मदद की थी। मैं उसका एहसान कभी नहीं चुका सकता, लेक़िन मैं लोगों को बताता हूँ कि वह अच्छा इंसान हैं और दयालु भी। तो जिसकों भी मैंने बताया था, वो भी मेरी तरह अपनी कुल्हाड़ी गिरा कर उसके पास रोते हैं।

जिन्होंने मेरी मदद की थी उन्होंने मुझें बताया की जब से तुम्हारी मदद की हैं तब से लोग मुझसे एक ही तरह की मदद मांगने आ रहे हैं ऐसा क्यू। तब मुझें बहुत हँसी आई और मैंने उन्हें बताया की।  आपने जो भी मेरे लिए किया उसका एहसान मैं कभी चुका नहीं सकता बस यहीं मैं सबको बताता था, इसी का साइड इफेक्ट हैं।

तब उन्होंने बोला कि अब से तुम कभी भी किसी को यह बात मत बताना। आज फिर मैं उन्ही से मिला था, तो मुझें उन पर बीती बात याद आई और उस पर एक रचना बना लिया, की वो जलपरी कोई बेवक़ूफ़ जलपरी नहीं हैं। और नेक काम करने वालों को लोग बेवक़ूफ़ बनाने की कोशिश बहुत करते हैं, लेक़िन मैं बताना चाहता हूँ, वह जलपरी बेवक़ूफ़ नहीं हैं।

आपकों यह रचना कैसी लगी जरूर कॉमेंट कर के बताए।


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यह कहानी आपने बहुत बार पढ़ी होंगी, और बहुतों को सुनाया भी होगा। मगर आज इस कहानी को आज आप एक अलग नज़रिए से पढ़ेंगे

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