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जयदीप शेखर के बारे में

रेखाचित्र, छायाचित्र, शब्दचित्र का एक शौकिया चितेरा

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जयदीप शेखर की पुस्तकें

ग्वालियर से खजुराहो: एक साइकिल यात्रा

ग्वालियर से खजुराहो: एक साइकिल यात्रा

बात 1995 के फरवरी की है, जब मैंने ग्वालियर से खजुराहो तक की यात्रा साइकिल से की थी- अकेले। लौटते समय मैं ओरछा और दतिया भी गया था। कुल 8 दिनों में भ्रमण पूरा हुआ था और कुल-मिलाकर 564 किलोमीटर की यात्रा मैंने की थी। इसे एक तरह का सिरफिरापन, दुस्साहस

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ग्वालियर से खजुराहो: एक साइकिल यात्रा

ग्वालियर से खजुराहो: एक साइकिल यात्रा

बात 1995 के फरवरी की है, जब मैंने ग्वालियर से खजुराहो तक की यात्रा साइकिल से की थी- अकेले। लौटते समय मैं ओरछा और दतिया भी गया था। कुल 8 दिनों में भ्रमण पूरा हुआ था और कुल-मिलाकर 564 किलोमीटर की यात्रा मैंने की थी। इसे एक तरह का सिरफिरापन, दुस्साहस

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"बनफूल" की कहानियाँ

"बनफूल" की कहानियाँ

विलक्षण प्रतिभा के धनी बँगला कथाकार "बनफूल" की 50 कहानियों का हिन्दी अनुवाद।

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"बनफूल" की कहानियाँ

"बनफूल" की कहानियाँ

विलक्षण प्रतिभा के धनी बँगला कथाकार "बनफूल" की 50 कहानियों का हिन्दी अनुवाद।

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जयदीप शेखर के लेख

अपना-पराया

19 नवम्बर 2021
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<p>सारे सुबह की मेहनत के बाद दोपहर दक्षिण तरफ के बरामदे पर एक बिस्तर बिछाकर जरा लेटा था। नीन्द अभी आ

2. पारूल प्रसंग

11 नवम्बर 2021
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<p>‘‘वह क्या तुम्हारी तरह कमा कर खाएगी?’’</p> <p>‘‘कमाकर न खाए- मतलब, मछली-दूध चोरी कर के खाना-’’</

अमला

7 नवम्बर 2021
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<p>अमला को आज देखने आनेवाले हैं। पात्र का नाम है अरुण। नाम सुनते ही अमला के दिल में मानो अरुण आभा छि

वापस ग्वालियर

5 नवम्बर 2021
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<p>सुबह काफी सुबह- साढ़े पाँच बजे ही- मेरी आँखें खुल गयीं। 'रोजे' से सम्बन्धित निर्देश तथा गाने कुछ द

दतिया

5 नवम्बर 2021
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<p>साढ़े चार बजते-बजते मैं दतिया पहुँच गया था। यूँ तो वहाँ का महल शाम पाँच बजे बन्द हो जाता है, मगर व

ग्वालियर (वायु सेना स्थल, महाराजपुर) 22 फरवरी' 95

5 नवम्बर 2021
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<p>ओरछा के श्रीराम धर्मशला में सुबह नीन्द खुलते ही विचार आया, क्यों न नदी के किनारे जाकर सूर्योदय<br

ओरछा (श्रीराम धर्मशाला) 20 फरवरी' 95 (रात्रि 9:00 बजे)

5 नवम्बर 2021
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<p> कल एवरेस्ट लॉज में मुझे ऐसा अनुभव हुआ था, जैसे मैं पुराने जमाने का एक मुसाफिर हूँ और लम्बी

नवगाँव (एवरेस्ट लॉज) 19 फरवरी'95 (रात्रि 8:15)

5 नवम्बर 2021
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<p> खजुराहो से चलते वक्त मेरा पक्का इरादा था, छतरपुर में ही रात बितानी है; चाहे शाम के चार बजे

बमीठा कस्बे से 4-5 किमी बाहर 19फरवरी' 95 (दिन 12:15बजे)

5 नवम्बर 2021
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<p> आज सुबह दस बजकर दस मिनट पर होटल राहिल से रवाना हुआ। इसके पहले सुबह साढ़े छः बजे उठकर तैयार ह

खजुराहो 18 फरवरी' 95 (शाम 07:15 बजे)

5 नवम्बर 2021
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<p> यह समय जबकि जगमगाते बाजार में रहने का है, मैं होटल के बिस्तर पर लेटे-लेटे यह लिख रहा

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