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जीवन के सच ........ मानवता

30 अक्टूबर 2023

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                     जीवन और जिंदगी दोनों के साथ हम मानवता मानवतावादी दृष्टिकोण भी हम सभी को जीवन के सच में हकीकत और हमारे मन भावों को व्यक्त करता हैं। जिससे हम कुदरत के साथ अपने जीवन में अपने परिवार और अपने आप में शामिल रहते हैं। और हम सभी मानवता समझते हैं। हम सभी जानते हैं कि मानव से ही मानवता का अर्थ सभी जानते हैं और जीवन को सफल बनाने के लिए हम सभी अपने संग साथ रहने वालों के लिए हम जीवन में उसकी मुश्किलों में निस्वार्थ भाव सेवा करते हैं ।           

               मानवता हम सभी जानते हैं परंतु मानवता का अर्थ हम सभी नहीं जानते हैं क्योंकि जीवन में आज सभी अपने-अपने मतलब और अपने-अपने इरादों में मस्त रहते हैं बस समय का चक्र ऐसा है जो कि हम सभी को मानवता की राह पर ले जाता है वरना आज तो हम एक दूसरे को मानव और मानवता का अर्थ ही बदल देते हैं जीवन के सच में हम सभी अपने-अपने मतलब और स्वार्थ के साथ हम सभी मानवता को भूल जाते हैं। परन्तु एहसास और एतबार के साथ हम लोग एक समाज और विचार के साथ हम सभी आज आधुनिक समय में हम सभी पुरानी बातों को या पुराने संबंधों को महत्व कहां देते हैं जबकि आज भी जीवन पुराने बातें और पुराने संबंध काम आ जाते हैं आज की नई युवा पीढ़ी का सच यह है उसे मानवता का शब्द का अर्थ नहीं मालूम है क्योंकि आज जो समाज है वह जैसे को तैसा की नीति पर काम करता है और आज जैसी हमारी सोच वैसे ही हम सोच अपने कामों में अपने इरादों में सोचते।

                     स्कूल का समय हो रहा था बस आने में टाइम था रीना अपना बस्ता टिफिन उठाकर घर से बाहर की ओर जाती है मम्मी बेटा चाय या  दूध पी जाती नहीं मम्मी बस आ जाएगी बस निकल जाएगी। जैसे ही घर से बाहर निकली स्कूल की बस का टायर पंचर हो जाता है और ड्राइवर सब बच्चों को एक बस स्टॉप के शेड में बिठा देता है और कहता है बच्चे लोग अभी मैं पंचर जुड़वा का बस लेकर आता हूं आप कहीं जाए ना ही बैठे सब बच्चे बैठ जाते हैं रीना भी वहां पहुंच जाती है और रीना की सहेलियाँ कहती है कि रीना  तू लेट हो गई है बस पंचर न होती तो बस निकल जाती। रीना कहती थैंक गॉड मुझे बस तो मिल गई हम स्कूल तो टाइम पर पहुंच जाएंगे हां हां क्यों नहीं ड्राइवर आता ही होगा पंचर लगवा कर ऐसा कहकर सब लड़कियां रीना की बात हंस देती है। तभी रीना के पीछे कुछ हाथ सा महसूस होता है। एक मेल से कपड़े पहने हुए छोटी सी लड़की खड़ी थी मासूम सा चेहरा बिखरे बाल बदहवास सी हालत कुछ खाने को मिलेगा इशारे से उसने कहा रीना उसका चेहरा और उसकी स्थिति देखकर मानवता के भाव से भर  गई। 

            रीना ने अपना लंच बॉक्स खोल कर अपने चार परांठों में से दो पराठे और सब्जी उसे मासूम सी भूखी  लड़की को दे देती हैं । जिससे उसकी आंखें मानवता के साथ उसका शुक्रगुजार कर रही थी रीना बोली कोई बात नहीं कोई बात नहीं खाना खाओ और अगर भूख लगे तो  क्षमा करें बस रीना की मानवता को देखकर लड़की की आंखों में आंसू आ गए और वह रीना से दो पराठे लेकर दूर बैठकर सड़क एक और जल्दी-जल्दी खाने लगी। आज रीना को ऐसा लग रहा था कि जैसे रीना ने कोई बहुत बड़ा काम किया है क्योंकि उसे लड़की के दो पराठे खाने से  रीना मन भावों में मानवता के साथ उसकी ओर देख रही थी और सोच रही थी की जीवन में इंसान की भूख भी क्या चीज है और तभी ड्राइवर ने आवाज लगाई सब बच्चों आओ बस में बैठो जल्दी स्कूल चलना है रीना सोचती हुई अपनी स्कूल की बस में जा बैठी। करीना की बस सभी बच्चों को लेकर स्कूल की ओर चल पड़ी रीना आज भूख और मानवता के मतलब को समझ चुकी थी और उसे एहसास था कि वह लड़की जो उसे खाना मांग कर ले गई और खा रही थी जीवन में भूख बहुत बड़ी अमानत है और आज मानवता के साथ रीना जब स्कूल की क्लास में पहुंची तब रीना ने अपनी टीचर से पूछा कि मानवता का अर्थ क्या है थोड़ी ना की टीचर ने बड़ा प्यार उत्तर दिया। कि एक मानव का दूसरे मानव के प्रति सहयोग और मदद ही मानवता का अर्थ है इस उत्तर को सुनकर रीना मन ही मन मानवता को शुक्रगुजार कर रही थी और रीना जब घर पहुंची। तब रीना अपनी मां से गले लग गई मां बोली क्या हुआ बेटी ने पूरी बात बताई। क्योंकि रीना को एक आज मानवता का अर्थ समझ में आ चुका था बस उसने फैसला कर लिया कि जीवन में उसे अपने जीवन को मानवता के साथ ही जीना है। क्योंकि जीवन में बस समर्पण और क्षमा करना ही मानवता के साथ ही हम सभी समझते हैं। ऐसा रीना अपने जीवन के सच में समझ चुकी थी। और वह यह समझती है कि हम सभी ईश्वर के या कुदरत के बिना लिखे कुछ भी नहीं है। और भाग्य और पुरुषार्थ भी मानवता के साथ ही बनते हैं। केवल हमारी सोच और मानसिकता का ही समझना जरूरी हैं। इसलिए हम सभी अपने जीवन के सच को स्वीकार करें। और मानवता एक शब्द नहीं हैं बल्कि यही हम मानव जीवन के सच की मानवता हैं।

               यह कहानी भी कल्पना के साथ लिखी गई है परंतु मानवता तो हम सभी के अंदर अंतरात्मा में विराजमान है और हम सभी अपने अंतरात्मा के साथ मानवता को निभाते हैं परंतु जीवन तो क्षणभंगुर है। और आज हम सभीको अपने जीवन काल में एक दूसरे को सहयोग और सम्मान करना चाहिए क्योंकि सभी जीवन                      जीवन और जिंदगी दोनों के साथ हम मानवता मानवतावादी दृष्टिकोण भी हम सभी को जीवन के सच में हकीकत और हमारे मन भावों को व्यक्त करता हैं। जिससे हम कुदरत के साथ अपने जीवन में अपने परिवार और अपने आप में शामिल रहते हैं। और हम सभी मानवता समझते हैं। हम सभी जानते हैं कि मानव से ही मानवता का अर्थ सभी जानते हैं और जीवन को सफल बनाने के लिए हम सभी अपने संग साथ रहने वालों के लिए हम जीवन में उसकी मुश्किलों में निस्वार्थ भाव सेवा करते हैं ।           

 

               मानवता हम सभी जानते हैं परंतु मानवता का अर्थ हम सभी नहीं जानते हैं क्योंकि जीवन में आज सभी अपने-अपने मतलब और अपने-अपने इरादों में मस्त रहते हैं बस समय का चक्र ऐसा है जो कि हम सभी को मानवता की राह पर ले जाता है वरना आज तो हम एक दूसरे को मानव और मानवता का अर्थ ही बदल देते हैं जीवन के सच में हम सभी अपने-अपने मतलब और स्वार्थ के साथ हम सभी मानवता को भूल जाते हैं। परन्तु एहसास और एतबार के साथ हम लोग एक समाज और विचार के साथ हम सभी आज आधुनिक समय में हम सभी पुरानी बातों को या पुराने संबंधों को महत्व कहां देते हैं जबकि आज भी जीवन पुराने बातें और पुराने संबंध काम आ जाते हैं आज की नई युवा पीढ़ी का सच यह है उसे मानवता का शब्द का अर्थ नहीं मालूम है क्योंकि आज जो समाज है वह जैसे को तैसा की नीति पर काम करता है और आज जैसी हमारी सोच वैसे ही हम सोच अपने कामों में अपने इरादों में सोचते।

 

                     स्कूल का समय हो रहा था बस आने में टाइम था रीना अपना बस्ता टिफिन उठाकर घर से बाहर की ओर जाती है मम्मी बेटा चाय या  दूध पी जाती नहीं मम्मी बस आ जाएगी बस निकल जाएगी। जैसे ही घर से बाहर निकली स्कूल की बस का टायर पंचर हो जाता है और ड्राइवर सब बच्चों को एक बस स्टॉप के शेड में बिठा देता है और कहता है बच्चे लोग अभी मैं पंचर जुड़वा का बस लेकर आता हूं आप कहीं जाए ना ही बैठे सब बच्चे बैठ जाते हैं रीना भी वहां पहुंच जाती है और रीना की सहेलियाँ कहती है कि रीना  तू लेट हो गई है बस पंचर न होती तो बस निकल जाती। रीना कहती थैंक गॉड मुझे बस तो मिल गई हम स्कूल तो टाइम पर पहुंच जाएंगे हां हां क्यों नहीं ड्राइवर आता ही होगा पंचर लगवा कर ऐसा कहकर सब लड़कियां रीना की बात हंस देती है। तभी रीना के पीछे कुछ हाथ सा महसूस होता है। एक मेल से कपड़े पहने हुए छोटी सी लड़की खड़ी थी मासूम सा चेहरा बिखरे बाल बदहवास सी हालत कुछ खाने को मिलेगा इशारे से उसने कहा रीना उसका चेहरा और उसकी स्थिति देखकर मानवता के भाव से भर  गई। 

 

            रीना ने अपना लंच बॉक्स खोल कर अपने चार परांठों में से दो पराठे और सब्जी उसे मासूम सी भूखी  लड़की को दे देती हैं । जिससे उसकी आंखें मानवता के साथ उसका शुक्रगुजार कर रही थी रीना बोली कोई बात नहीं कोई बात नहीं खाना खाओ और अगर भूख लगे तो  क्षमा करें बस रीना की मानवता को देखकर लड़की की आंखों में आंसू आ गए और वह रीना से दो पराठे लेकर दूर बैठकर सड़क एक और जल्दी-जल्दी खाने लगी। आज रीना को ऐसा लग रहा था कि जैसे रीना ने कोई बहुत बड़ा काम किया है क्योंकि उसे लड़की के दो पराठे खाने से  रीना मन भावों में मानवता के साथ उसकी ओर देख रही थी और सोच रही थी की जीवन में इंसान की भूख भी क्या चीज है और तभी ड्राइवर ने आवाज लगाई सब बच्चों आओ बस में बैठो जल्दी स्कूल चलना है रीना सोचती हुई अपनी स्कूल की बस में जा बैठी। करीना की बस सभी बच्चों को लेकर स्कूल की ओर चल पड़ी रीना आज भूख और मानवता के मतलब को समझ चुकी थी और उसे एहसास था कि वह लड़की जो उसे खाना मांग कर ले गई और खा रही थी जीवन में भूख बहुत बड़ी अमानत है और आज मानवता के साथ रीना जब स्कूल की क्लास में पहुंची तब रीना ने अपनी टीचर से पूछा कि मानवता का अर्थ क्या है थोड़ी ना की टीचर ने बड़ा प्यार उत्तर दिया। कि एक मानव का दूसरे मानव के प्रति सहयोग और मदद ही मानवता का अर्थ है इस उत्तर को सुनकर रीना मन ही मन मानवता को शुक्रगुजार कर रही थी और रीना जब घर पहुंची। तब रीना अपनी मां से गले लग गई मां बोली क्या हुआ बेटी ने पूरी बात बताई। क्योंकि रीना को एक आज मानवता का अर्थ समझ में आ चुका था बस उसने फैसला कर लिया कि जीवन में उसे अपने जीवन को मानवता के साथ ही जीना है। क्योंकि जीवन में बस समर्पण और क्षमा करना ही मानवता के साथ ही हम सभी समझते हैं। ऐसा रीना अपने जीवन के सच में समझ चुकी थी। और वह यह समझती है कि हम सभी ईश्वर के या कुदरत के बिना लिखे कुछ भी नहीं है। और भाग्य और पुरुषार्थ भी मानवता के साथ ही बनते हैं। केवल हमारी सोच और मानसिकता का ही समझना जरूरी हैं। इसलिए हम सभी अपने जीवन के सच को स्वीकार करें। और मानवता एक शब्द नहीं हैं बल्कि यही हम मानव जीवन के सच की मानवता हैं।

 

               यह कहानी भी कल्पना के साथ लिखी गई है परंतु मानवता तो हम सभी के अंदर अंतरात्मा में विराजमान है और हम सभी अपने अंतरात्मा के साथ मानवता को निभाते हैं परंतु जीवन तो क्षणभंगुर है हम सभी जानते हैं और समझता है आओ हम जीवन में एक दूसरे के प्रति मानवता का फर्ज निभाएं।  क्हयोंकि आज हम सभी अपने अपने मन की चंचलता में बहुत कुछ सीखने से बचते हैं बस जरूरत तो हम सभी जानते हैं और समझते हैं ।आओ हम जीवन में एक दूसरे के प्रति मानवता का फर्ज निभाएं।

 

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने भाई 👍🙏 कृपया मेरी कहानी कचोटती तन्हाइयां के भागों पर अपना लाइक और व्यू दे दें 😊🙏

31 अक्टूबर 2023

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जीवन‌ के सच ..…मानवता
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जीवन और जिंदगी दोनों के साथ हम मानवता मानवतावादी दृष्टिकोण भी हम सभी को जीवन के सच में हकीकत और हमारे मन भावों को व्यक्त करता हैं। जीवन को सफल बनाने के लिए हम सभी अपने संग साथ रहने वालों के लिए हम जीवन में उसकी मुश्किलों में निस्वार्थ भाव सेवा करते हैं ।

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