,, बातें हों कुछ जज़्बात की,
जिंदगियों कों संवारे ऐसी दिन रात की
खो जाते हैं जों एहले वतन पर उन्हीं
चेहरों कों खूबसूरती से संवारने की
बातें सिर्फ शिक्षा के स्तर को उच्चतम बनानें की
कुछ गीतों कों गुनगुनाने गीतों कों सजानें की
बातें हर घरों के दीपों कों उज्ज्वल दिखाने की
बातें हों नादानियों अल्हड़पन बचपने को समझाने की
बातें हों देशों की आपसी सौहार्द्र संजोने की
बातें हों परस्पर मैत्रेई की खुशहाली की
बातें हों असल में खेतों की खलिहानों की
बातें हों खुल कर दुःख दर्द कों बतियाने की
बातें हों बेटा बेटियों महिलाओं को
सुरक्षित संजोने की
बातें घर के पुरुषों के स्वाभिमान आत्मसम्मान की
बातें हों निर्मलता कोमलता से निखरने की
बातें हों खुलें आसमां में खुल कर खिलखिलाने की
कवियत्री ----* नीलम द्विवेदी*
" नील"