नज़र
जब से नज़रों से नज़रें मिली
नज़ारों ने मौसम बदल लिया
कभी जों छांव लगती थी
हर तरफ़ धूप ने पसार लिया
महक खोजतीं हवाओं ने
गुलशन-गुलशन फिज़ा बहार दिया
अनजाने से ही मुलाकात हुई
तों बख्त घड़ियों ने वक्त गुजार लिया
कहीं दूर से पेड़ो ने कहा कि
जरा मजबूत बनों शाखाओं ने प्यार दिया
यूं ही नहीं मिलता रौशन जहां
किरणों ने ही सूरज कों निखार किया
रचनाकार ----- नीलम द्विवेदी "नील"