सभी ने ऐब बतायें अजीब से
ख़ुद कों जिन्होंने छुपाये रहे क़रीब से
हर बार एक झूठ पर सौ बार बातें बनती गयीं
आईने जिन्होंने सादगी से
थमाये रक़ीब से
यह शहर शहद के लिए मशहूर था
वो शहर नज़ाकत के लिए मशहूर था
अगल बगल भी खुशहाली जिंदादिली झलकती थी
ना जाने आग की चिंगारियां कौन लगा गया करीब से
सुना है बड़ी मिसालें दिया करतें थे
हर बात पर यार मरा करतें थे
बिन देखे ना सुबह होती ना शाम जिनकी
यह कैसी जिंदगी दे गया हालतन में नसीब से
नीलम द्विवेदी "नील"
प्रयाग राज़, उत्तर प्रदेश, भारत।।