यशोहर के राजा प्रतापादित्य सभी बच्चों, उनकी प्रजा और उनकी बहुरानी (बहू) को सबसे अधिक तिरस्कृत करते हैं। जब सूरमा ने राज्य पुत्र उदयादित्य से शादी की, तो उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि उसका देवर उसके जीवन को नरक बना देगा। लेकिन सूरमा अपने दुख में अके
यशपाल के लेखिकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्यायबुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज्यादा तरल रूप में, ज्यादा गह
यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक, परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है, सच बोलने की भूल कहानी संग्रह हैं |
यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है ! यह आधर्बुऊत प्रस्थान बिंदु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज्यादा तरल रूप में, ज्यादा
रवि पार लघु कथाओं का एक संग्रह है जो किसी विशेष विषय का पालन नहीं करता है बल्कि विभिन्न मानवीय भावनाओं को छूता है। इस पुस्तक की कहानियों की जड़ें भारतीय संस्कृति में हैं, लेकिन उन सार्वभौमिक भावनाओं को व्यक्त करती हैं जो क्षेत्रों, जाति और पंथ की सीम
पोटली बाबा के पास है, पोटली भर रंग बिरंगी कहानियां | इन्हें ढून्ढ लाएं हैं गुलज़ार खास आप को सुनाने के लिए, इसमें इच्छा पूरी करने वाला फ़क़ीर है, बोलने वाले उल्लू हैं, आलसी मांगु है और भयानक भूत भी है जो मांगू के पीछे पड़ा है...
लकड़ी की कठपुतली की कहानी, जिसकी नाक हर बार झूठ बोलने पर बढ़ती है, ने दुनिया भर के दिलों पर कब्जा कर लिया है। प्रलोभन और रोमांच की दुनिया में खुद को व्यवहार करने के लिए एक शरारती कठपुतली के संघर्ष की कालातीत कहानी के इस नए संस्करण से सभी उम्र के पाठक
देश या प्यार किसे चुनेगी समिति
यह गीतांजलि श्री की कहानियों का प्रतिनिधि संचयन है। गीतांजलि की लगभग हर कहानी अपनी टोन की कहानी है और विचलन उनके यहाँ लगभग नहीं के बराबर है और यह बात अपने आपमें आश्चर्यजनक है क्योंकि बड़े-से-बड़े लेखक कई बार बाहरी दबावों और वक़्ती ज़रूरतों के चलते अपनी
कुछ लेखक रचना के लिए सामग्री जुटाने में ही अपनी अधिकांश शक्ति व्यय कर देते हैं। उन्हें लगता होगा कि किसी परिघटना से ही महत्त्वपूर्ण या बड़ा जीवन- सत्य व्यक्त किया जा सकता है। चित्रा मुद्गल जीवन के छोटे-छोटे प्रसंगों को चुनती हैं, उनमें व्याप्त तनाव को
‘मुस्लिम समाज सिर्फ़ ‘ग़ज़ल’ नहीं है, बल्कि एक ऐसा ‘मर्सिया’ है जो वह अपनी रूढ़िवादिता की क़ब्र के सिरहाने पढ़ता है। पर उसके साज़ और आवाज़ को कितने लोग सुन पाते हैं, और उसका सही दर्द समझते हैं?’’ लेखिका द्वारा की गई यह टिप्पणी इन कहानियों की पृष्ठभूम
गूंगा आसमान प्रख्यात लेखिका नासिरा शर्मा का चर्चित कथा संचयन है । जिसमें उनकी 12 कहानियां संकलित की गई है । जिसमें खुशबू का रंग, सरहद के इस पार, गूंगा आसमान, यहूदी सरगर्दान, जड़ें, काला सूरज, तीसरा मोर्चा, इमाम साहब, ततैया, मेरा घर कहां? नई हुकूमत औ
राधे कृष्ण की कहानी
भाषा-भाव-सूक्ष्मता-सांकेतिकता-दृष्टि और मौलिकता के लिहाज से परिपक्व मनीषा कुलश्रेष्ठ की समकालीन कहानियाँ
युवा पीढ़ी की बहुप्रशंसित कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ का यह पांचवां कहानी संग्रह है। इसकी ग्यारह कहानियां लेखिका की परिचित विशिष्ट शैली में अनूठी दुनिया के पात्रों और स्थितियों से मुलाकात करवाती हैं। ये रचनाएं हिन्दीं की सामान्य कथा-कहानियों से हटकर हैं,
एक ऐसा हादसा जिसने मेरे स्वभाव और मेरी सोच को बदल दिया..।
उस दिन घर आते हुए ऐसा लग रहा था कि कोई साथ में चल रहा है लेकिन उसकी आवाज ही मुझे सुनाई दे रही थी कौन चल रहा है यह बात मुझे बिल्कुल भी मालूम नहीं थी मेरे कदमों की आवाज के साथ साथ उसकी कदमों की आवाज भी धीरे-धीरे बढ़ रही थी ऐसा लग रहा था कि कोई भूत म
मन से लिखी ,मनो मे घर करने वाली कहानियां।
एक बेतवा ! एक मीरा ! एक उर्वशी ! नही-नहीं, यह अनेक उर्वशियों, अनेक मीराओं, अनेक बेतवाओं की कहानी है। बेतवा के किनारे जंगल की तरह उगी मैली बस्तियों। भाग्य पर भरोसा रखने वाले दीन-हीन किसान। शोषण के सतत प्रवाह में डूबा समाज। एक अनोखा समाज, अनेक प्