हरिऔधजी बड़े ही मेधावी, प्रतिभासम्पन्न कवि थे । उन्होंने कविता रचने की प्रेरणा अपने बाबा सुमेरसिंह के सम्पर्क में सीखी । बाल्यावस्था में उन्होंने कबीर की साखियों पर कुण्डलिया लिखकर चमत्कृत कर दिया था । उनका जन्म 15 अप्रैल, 1865 में निजामाबाद में हुआ था ।
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