देवी अम्बिका विषय मे जानना और वह परमशक्ति कौन है उनका प्रतिभाव कैसे हुआ यह एक रहस्य है ।
पर शिवपुराण अनुसार जब उस अविनाशी परब्रह्म जिसे हम काल कहते है उसके अंदर एक इच्छा प्रकट हुई । जिस कारण उनके अंदर एक से अनेक होने के संकल्प उदय हुए । जब उस निराकार परमशक्ति ने अपनी लीला शक्ति से आकर की कल्पना की । वह परमशक्ति मूर्ति रहित है एक अक्षरिय है । वही से सुरुवात है वही परमब्रह्म सदाशिव है वह एकांकी है और सभी ओर विहार करने वाले है सदाशिव ने अपने शरीर से अपने श्रीअंग से कभी न अलग होने वाली जो सदाशिव की परमशक्ति है जो प्रकृति प्रधान है गुणवती है मायावती यहाँ तक बुध्दि का तत्व उनसे ही जन्मा है वह विकार रहित है ।
वह शक्ति अम्बिका है वह माता पार्वती या सती से भिन्न है
उनको प्रकृति में सर्वपरि सर्वेश्वरी त्रिदेव जननी कहा गया अर्थात ब्रह्मा विष्णु महेश उनसे ही हुए है । वही नित्या है वही मूल कारक है
भगवान सदाशिव शिव द्वारा प्रकट हुई उस शक्ति के अष्ट (8) दिव्य भुजाएं थी । उसका स्वरूप अत्यंत दिव्य था उसको देखकर प्रकृति के सभी तत्व पल में मोहित हो जाते है वह परमशक्ति ही जगतजननी है । वह परमशक्ति नाना प्रकार की शक्तियों से सम्पन्न और गतिविधियों में निपुण थी । अनेको अनेक अस्त्र सत्र धरण करने वाली वह शक्ति । एकांकी होने बाद भी अपनी माया से अनेक हो जाती है । वह काल स्वरूप सदाशिव की अर्द्धांगिनी है उसी शक्ति को संसार मे जगदम्बा यह देवी अम्बिका के नाम से जाना गया ।