शांत गर होते ख़ामोश चेहरे,
पहरे देखो उनमें हजार होते।
अशांत अंतर्मन में कई सवाल,
उठते और पनपते यूं ही रहते।।
हंसती आंखो में छलक उठता,
आंसू बन कर कोई मोती।
मोती बन जाते हैं ये आंसू,
सवाल उनमें यूं हजार होते।।
ज़ख्म गर दिल पे लगते,
ज़ख्म दिल दिखा न पाते।
ख़ामोश चेहरे में उठते सवाल,
सवाल उनमें यूं हजार होते।।
रूठ जाते हैं अपनों से गर,
अक्सर उनमें सवाल होते।
ख़ामोश चेहरे में होते सवाल,
सवाल उनमें यूं हजार होते।।
रूठना मनाना चलता रहता,
रिश्ते अपनों से गहरे होते।
सवालों के उहा पोह में मन,
सवाल उनमें यूं हजार होते।।
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