विचित्र सी कहानी है उन किसानों की,
जो करते परिश्रम,
दिन और रात की नहीं होती जिनको परवाह,
आज उनकी स्थिति बद से भी बद्तर है,
बरसते मेघ कभी खुशियां दे जाते,
तो कभी उनकी फसल नष्ट कर जाते,
जीवन पूंजी लगाता जिस फसल पर किसान,
न उसके हिस्से में कुछ सब हम में बंट जाता,
सचमुच जिंदगी उनकी बड़ी बेहाल,
न रहती खुद की सुध बुध और न परिवार का ध्यान,
सुबह से शाम करते कड़ी धूप में परिश्रम,
तब जाकर हम सुखपूर्वक अपना जीवन बिताते,
हे अन्नदाता आपका हम पर इतना उपकार है,
न चुका सकते हम उनको बस यही ईश्वर से करते प्रार्थना है,
जिस प्रकार हमारा परिवार आपके परिश्रम की रोटी खाता,
उसी प्रकार आपका परिवार अन्न और धन से सम्पन्न रहे,
आपकी पीडा़ सच में दयनीय है जिसका न कोई हल,
आपकी मेहनत का फल है कि सुखपूर्वक हर इंसान,