मां की ममता में पिता के दुलार में बीता मेरा बचपन है,
मस्ती भरी शरारतों में चेहरे पर आती मुस्कराहट में,
नादान भोली सी बनाते शक्ल करते अपनी मनमानी में,
ये बचपन बीता है जो मीठी यादों का हिस्सा है,
जिसमें हमारी खट्टी मीठी नोकं झोक के हजारों किस्से हैं,
गुस्से में भी अपनों का झलकता प्यार हैं,
ज़िद्द में हमसे बड़ा कोई नहीं,
अपनेपन प्यार की माटी में सींचा हमारा बचपन,
महकते गुलाब की भांति खिल उठा है,
जिसमें ममत्व की बहती धारा है,
क्योंकि बचपन ही तो यादो का पिटोरा है,
जब कभी बैठते परिवार संग याद आते सारे वो किस्से हैं,
जो करते बचपन में हम मस्ती और धमाल,
सचमुच आंखो में नमी होती चेहरे पर मुस्कराहट,
क्योंकि याद आ जाती न जाने कितनी ही बात,
सचमुच बचपन की यादों में अपनेपन की मिठास है,
अपनों का प्यार है दोस्तों का साथ है,
तकरार भरी दास्तां छिपी वो बचपन की हमारी दुनिया में
बड़ी अजीबो गरीब कहानी बयां है।