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किस्मत उछालकूद मचाती

16 जून 2015

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featured image किस्मत उछालकूद मचाती किस्मत उछलकूद मचाती बच्चे से बनकर रुलाती कभी हंसाती खुद में ही हसकर ! ले आए कभी आकाश मुठ्ठी में पकड़ नीदो में करती फिरे कितनी ये बड़बड़ . नए से ख्वाब देखे रोज जो हो पुराने ना जाने कहां से लाए एक से एक बहाने . कौन समझे इसे ये तो नादानी का पुलिंदा इसी की परवरिश में तो हर इंसा जिन्दा . कहने को लाचार तो कभी सेठ साहूकार सी जंग में लड़े सिपाही की कोई हुंकार सी . ना समझ ना समझे ज़िंदगी का खेल मेहनत तो निकालती है हर किसी का तेल . बाजुओ में दम तो सबकुछ पा लेगा दुनिया तो आतुर है दिखाने को ठेंगा . बच्चे सी मस्ती करे किस्मत उछलकूद मचाती नाच तो सारे ज़माने के हरपल में नचाती . तपन "Dts"

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तपन सिसौदिया

तपन सिसौदिया

सभी को इस प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद -Dts

17 जून 2015

रमेश कुमार सिंह

रमेश कुमार सिंह

अच्छी कविता धन्यवाद श्रीमान जी।

17 जून 2015

डॉ. शिखा कौशिक

डॉ. शिखा कौशिक

bahut sundar bhavabhivyakti .badhai

16 जून 2015

मंजीत सिंह

मंजीत सिंह

बाजुओ में दम तो सबकुछ पा लेगा दुनिया तो आतुर है दिखाने को ठेंगा . ...... क्या बात है ... बहुत ही बढ़िया रचना

16 जून 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

कौन समझे इसे ये तो नादानी का पुलिंदा इसी की परवरिश में तो हर इंसा जिन्दा................बहुत अच्छी अभिव्यक्ति ! बधाई !

16 जून 2015

शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

बहुत सुन्दर रचना की है तपन जी आपने.....बहुत बहुत बधाई !

16 जून 2015

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जिंदगी का साथ

13 जून 2015
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जिंदगी का साथ जिंदगी का साथ देते जाओ जिंदगी को हसी बनाओ ! माना मुश्किलें है भी बहुत साँसे भी कभी जाती है रूठ ! मीठे से गीत गुनगुनाओ थोड़ा झुनझुना तो बजाओ ! नींद में देखो बड़े ख्वाब मिल जाएंगे हर एक जवाब ! यु ही चलते जाओ हर डगर न करो कभी अगर मगर ! रिश्ता हर एक निभाओ दिल को हर बाजी जिताओ ! दौड़ चलो पान

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किस्मत उछालकूद मचाती

16 जून 2015
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किस्मत उछालकूद मचाती किस्मत उछलकूद मचाती बच्चे से बनकर रुलाती कभी हंसाती खुद में ही हसकर ! ले आए कभी आकाश मुठ्ठी में पकड़ नीदो में करती फिरे कितनी ये बड़बड़ . नए से ख्वाब देखे रोज जो हो पुराने ना जाने कहां से लाए एक से एक बहाने . कौन समझे इसे ये तो नादानी का पुलिंदा इसी की परवरिश में तो हर इंसा

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