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जिंदगी का साथ

13 जून 2015

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जिंदगी का साथ जिंदगी का साथ देते जाओ जिंदगी को हसी बनाओ ! माना मुश्किलें है भी बहुत साँसे भी कभी जाती है रूठ ! मीठे से गीत गुनगुनाओ थोड़ा झुनझुना तो बजाओ ! नींद में देखो बड़े ख्वाब मिल जाएंगे हर एक जवाब ! यु ही चलते जाओ हर डगर न करो कभी अगर मगर ! रिश्ता हर एक निभाओ दिल को हर बाजी जिताओ ! दौड़ चलो पाने को आकाश ओढ़ बैठो सारे ही पलाश ! जिंदगी का साथ हर किसी से लेलो हर मुश्किलो से डट कर खेलो डीटीएस तपन

तपन सिसौदिया की अन्य किताबें

पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

बहुत सुन्दर रचना हेतु अनेकानेक बधाइयाँ ...

13 जून 2015

शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

तपन जी, अत्यंत सुन्दर रचना ! बधाई ! इसी प्रकार 'शब्दनगरी' से जुड़े रहिये और साथ ही अन्य रचनाकारों को जोड़िये। सुन्दर रचनाओं से इस मंच को सजाने के कार्य में आप सभी मित्रों का सहयोग अपेक्षित है। धन्यवाद !

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जिंदगी का साथ

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जिंदगी का साथ जिंदगी का साथ देते जाओ जिंदगी को हसी बनाओ ! माना मुश्किलें है भी बहुत साँसे भी कभी जाती है रूठ ! मीठे से गीत गुनगुनाओ थोड़ा झुनझुना तो बजाओ ! नींद में देखो बड़े ख्वाब मिल जाएंगे हर एक जवाब ! यु ही चलते जाओ हर डगर न करो कभी अगर मगर ! रिश्ता हर एक निभाओ दिल को हर बाजी जिताओ ! दौड़ चलो पान

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किस्मत उछालकूद मचाती

16 जून 2015
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किस्मत उछालकूद मचाती किस्मत उछलकूद मचाती बच्चे से बनकर रुलाती कभी हंसाती खुद में ही हसकर ! ले आए कभी आकाश मुठ्ठी में पकड़ नीदो में करती फिरे कितनी ये बड़बड़ . नए से ख्वाब देखे रोज जो हो पुराने ना जाने कहां से लाए एक से एक बहाने . कौन समझे इसे ये तो नादानी का पुलिंदा इसी की परवरिश में तो हर इंसा

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