चाहे भोजन करने के लिए कुर्सियों का जंग हो या नेताओं के बीच सत्ता का लेकिन कुर्सी का खेल बड़ा ही निराला है कोई मेज के लिए झगड़ा क्यों नहीं करते क्या खास बात है कुर्सी में इसे तो ऐसे ही समझ लेना चाहिए कि आज से ही मोदी क्यों इलाहाबाद जाकर अपनी कुर्सी पक्का करने में जुट गयें हैं |ये दूसरो को बेकार और अप