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मैं दीप जला के रखती हूँ

15 मई 2022

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मैं दीप जला के रखती हूँ
रातों मे तुम कब आ जाओ

मैं फूल बिछा के रखती हूँ
जाने किस मोड़ से आ जाओ

जाने कैसे मेरी रात कटी
बिस्तर की सिलवट से पूछो
रोए हम रातों मे कितना
मेरी आँखो की लाली से पूछो

बेचैनी बढ़ती है दिल की
जब याद तेरी आ जाती है
आंशू खुद ही बह उठते
आँखो मे नमी सी छा जाती है

बर्दाश्त नही अब ये दूरी
प्रियवर “कृष्णा” तुम आ जाओ
दर्शन को तरसे तेरी राधा
अब दिल की प्यास बुझा जाओ

Monika Garg

Monika Garg

बहुत खूब कृपया मेरी रचना पढ़कर समीक्षा दें https://shabd.in/books/10080388

16 मई 2022

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जाने तुम कब आओगे
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जाने तुम घर कब आओगे मेरी दिल की प्यास बुझाओगे बाहों में लेकर के मुझको कब अपना प्यार जताओगे जाने तुम घर कब आओगे आँखों मे नीद न आती है जब याद तेरी आ जाती यूं दूर दूर रह करके तुम जाने कब तक तड़पाओगे जाने तुम घर कब आओगे अब दूरी सही न जाये पिया रह रह के मेरा धड़के जिया कब छोड़ छाड़ सब काम तेरे नयनो से बाण चलाओगे जाने तुम घर कब आओगे मैं राधा सी दीवानी हूँ कृष्णा की प्रेम कहानी हूँ कब तक तरसूँ मैं बिरहन सी दर्शन कब तक दे जाओगे जाने तुम घर कब आओगे. ...

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