आज फ़ुरसत के कुछ पलों में….
पिछले २० वर्षों की
डायरियाँ खंगाल डालीं….
हर पेज पढ़ते हुए…
मानो वे दिन जी लिये पुनः
युवावस्था से प्रौढ़ हुए पुनः
उन चार घंटों में मानो
२० वर्ष जिये पुनः
नष्ट कीं कुछ डायरियाँ…..
मिटाये
कुछ शब्द
…….
पर क्या ?
शब्द मिटाने से
या
फिर डायरियाँ नष्ट करने से..
वह पुराना समय
वास्तव में मिट जाता है काल के कैनवस से ?
वह मिटता है मानव मन के कैनवस से बस !
मानो मानसिक यात्रा से मिट जाते हैं अभिलेख !
- आशा 'क्षमा'