विश्व विजेता भारत
हम तो विश्व विजेता
थे .....
ये हम कहां से कहां
आ गये ?
स्व शास्त्र भूले, वेद, उपनिषद
भूले,
कैसे हमें विदेशी
राग भा गये ?
क्या नहीं हमारे पास
? सब कुछ तो है,
दृष्टि बदली तो
नजारे बदल गये ।।
यह समय है
आत्मावलोकन का,
अतीत था, भविष्य है, सम्हालना वर्तमान बस ।
हम तो विश्व विजेता
थे ......
ये हम कहां से कहां
आ गये ?
एक-एक मंत्र है
एक-एक ज्वालामुखी,
क्या किसी ने कोशिश
भी की देखने की ?
ज्ञान इतना इस धरा
पर, कल्पना सम्भव नहीं
जा हम कहां रहे, खोज हम क्या रहे ?
हम तो विश्व विजेता
थे ......
ये हम कहां से कहां
आ गये ?
सब कुछ समाहित हमारे
ग्रंथों में
जीवन-लक्ष्य, संसार-रहस्य
ईश्वर-धारणा, धर्म की अवधारणा
करना बस सिर्फ है पालन
विश्व-गुरु से हम स्वयम, शिष्य बन गये
हम तो विश्व विजेता
थे .......
ये हम कहां से कहां
आ गये ?