विश्व विजेता भारत
हम तो विश्व विजेता थे .....
ये हम कहां से कहां आ गये ?
स्व शास्त्र भूले, वेद, उपनिषद भूले,
कैसे हमें विदेशी राग भा गये ?
क्या नहीं हमारे पास ? सब कुछ तो है,
दृष्टि बदली तो नजारे बदल गये ।।
यह समय है आत्मावलोकन का,
अतीत था, भविष्य है, सम्हालना वर्तमान बस ।
हम तो विश्व विजेता थे ......
ये हम कहां से कहां आ गये ?
एक-एक मंत्र है एक-एक ज्वालामुखी,
क्या किसी ने कोशिश भी की देखने की ?
ज्ञान इतना इस धरा पर, कल्पना सम्भव नहीं
जा हम कहां रहे, खोज हम क्या रहे ?
हम तो विश्व विजेता थे ......
ये हम कहां से कहां आ गये ?
सब कुछ समाहित हमारे ग्रंथों में
जीवन-लक्ष्य, संसार-रहस्य
ईश्वर-धारणा, धर्म की अवधारणा
करना बस सिर्फ है पालन
विश्व-गुरु से हम स्वयम, शिष्य बन गये
हम तो विश्व विजेता थे .......
ये हम कहां से कहां आ गये ? -------*------- आशा “क्षमा”