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माथे पर साइबर ठगी की बढ़ती चिंता की लकीरें

18 फरवरी 2022

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आज सुबह-सवेरे जब मैं घर से बाहर निकलकर आँगन में टहल रही थी, तो  एक लड़का और एक अधेड़ उम्र का आदमी मोटर सायकिल से उतरकर मुझे हमारे बिल्डिंग में रहने वाले यादव जी के घर का पता पूछने लगे। वे बहुत हैरान-परेशान दिख रहे थे। मैंने इशारा करते हुए कहा कि वे तीसरी मंजिल में रहते हैं तो बुझे  कंठ से धन्यवाद कहते हुए सीढ़ियाँ चढ़ने लगे। उनके मुरझाये चेहरों को देखकर मुझे समझते देर नहीं लगी कि जरूर कोई गंभीर मामला है। लेकिन मेरे पास इतना समय नहीं था कि मैं उनके घर जाकर पता करूँ और यह उचित भी कहाँ लगता है कि हम किसी ऐसे व्यक्ति के पीछे-पीछे जो हमें और जिसे हम नहीं जानते हों, उसके बारे में जानने के लिए उसके पीछे-पीछे हो लें। खैर मैंने विचार किया कि जो भी बात होगी वह तो बाद में पता चल ही जाएगी और मैं किचन में घुसकर अपने काम में जुट गई।  क्योंकि मैं अच्छे से जानती हूँ कि एक ही मोहल्ले में रहने वालों के बीच की बातें बहुत समय तक दबी नहीं पाती है।

उसके बाद लगभग एक घंटा बीता होगा कि दरवाजे की घंटी बजी तो मैंने मेरे बेटे से पूछा कि कौन है तो उसने बताया गौरव आया है और वह मीठी नीम की पत्ती मांग रहा है। मैंने कहा उसे मेरे पास भेज और तू बगीचे में जाकर उसके लिए मीठी नीम की पत्त्तियाँ तोड़ के ले आ। मेरी बात सुनकर बेटे ने उसे मेरे पास भेजा और वह बग़ीचे में चला गया।  चूँकि गौरव यादव जी का बेटा था इसलिए मैंने उससे उनके घर आये उन हैरान-परेशान दिखते लोगों के बारे में जानना चाहा तो उसने फिर उनकी जो कहानी सुनाई तो मुझे उन पर बड़ी दया आई। उसने मुझे बताया कि वे दोनों बाप-बेटे हैं। कल रात लड़के के पापा को किसी ने फ़ोन लगाया कि वह गौरव के पापा बोल रहे हैं। वे बहुत मुसीबत में हैं उनके बेटे का एक्सीडेंट हो गया है और वह बहुत नाजुक हालत में हॉस्पिटल में भर्ती है।  हॉस्पिटल वाले उसे मुंबई ले जाने के लिए कह रहे हैं, इसके लिए हमें अभी पैसों की सख्त जरुरत है। हमने अपने एटीएम से पैसे निकालने चाहे लेकिन एटीएम में हमारे सारे पैसे फंस गए हैं और हमारे खाते से पैसे नहीं बचे हैं। अब कल जब सुबह बैंक खुलेगा तभी वह क्लियर होगा और तब तक मेरी तो दुनिया उजड़ जायेगी। उसने आगे कहा कि चूंकि वह आदमी जो घर आया है उसकी स्कूल वैन है और वह मुझे बहुत पहले स्कूल छोड़ने आता-जाता था और पापा ने उसकी कई बार मदद की थी, इसलिए पापा को मुसीबत में समझकर उन्हें अपना एटीएम चलाना नहीं आता है उनका बेटा जो अभी घर पर नहीं है, वही यह काम करता है अपना खाता नंबर और पिन बता दिया और फिर जब थोड़ी देर बाद उनके मोबाइल पर ओटीपी आया और उन्होंने उन्हें बताया तो तुरंत उनके खाते से पैंतीस हज़ार रुपए कटने का मैसेज आ गया।  उसके थोड़ी देर बाद उन्होंने सोचा मोबाइल पर बता दूँ कि पैसे मिल गए हैं कि नहीं तो जब वह फ़ोन मिलाया तो वह स्विच ऑफ बता रहा था। रात काफी है और उनका घर दूर है इसलिए उन्होंने सोचा सुबह जाकर देख लेंगे इसलिए वे यहाँ नहीं आये और फिर उनका लड़का भी तो घर पर नहीं था, जिसके साथ वे यहाँ पता करने आते।  अभी जब उनका बेटा आया तो वे उसे लेकर मेरे पापा को इस बारे में पूछने आये थे कि क्या उन्होंने ने ही रात को उस मोबाइल नंबर से फ़ोन किया था जो अभी नहीं लग रहा। है। जब  पापा ने उन्हें बताया कि न तो उन्होंने फ़ोन लगाया और नहीं वह मोबाइल नंबर उनका है तो वे समझ गए कि किसी ने उन्हें बड़ी चालाकी से ठगकर उनके बैंक खाते से पैंतीस हज़ार रुपये निकाल लिए हैं। 

आजकल ऐसी ठगी के किस्से बहुत सुनने और देखने को मिलते हैं।  समाचार पत्रों और टीवी पर कई बार ऐसी घटनाओं के बारे में लोगों को सचेत किया जाता है और बैंकों द्वारा भी इस बारे में जागरूकता अभियान चलाये जाते हैं लेकिन बहुत लोग भावनाओं में बहकर बिना कुछ सोचे-समझे साइबर ठगी के शिकार बन जाते हैं।  ये साइबर ठग पहले ज़माने वाले ठगों से कई कदम आगे होते हैं। पहले के ठगों को कई महीनों के संघर्ष के बाद लोगों को ठगने में सफलता मिलती थी, लेकिन आज के ठग पहले जैसे थोड़े हैं जो महीनों तक इंतज़ार करें वे तमाम जागरूकता के बाद भी कम पढ़े-लिखें ही नहीं, बल्कि अच्छे खासे बड़ी-बड़ी डिग्री वालों को भी अपने जाल में ऐसे फ़ासते हैं कि वे जब तक कुछ समझे तब तक उनका खाता साफ़।  

आप लोगों ने भी ऐसे कई घटनाएं सुनी और देखी होंगी, जो किसी के लिए भी एक किस्सा भर बनकर रह गया होगा। लेकिन जब कोई इस तरह अपनी मेहनत की कमाई पर डाका डाले देखता है तो उसके दिल पर क्या गुजरती होगी, इसका दर्द हर कोई नहीं समझ सकता।  मैं सोचती हूँ कि आज भले ही इन ठगों से निबटने के लिए पुलिस ने छोटे-बड़े हर शहर में साइबर सेल बनाये हैं, लेकिन इनसे निपटने का जो तंत्र हैं उसमें कुछ न कुछ खामियां हैं, तभी तो वे उन खामियों का पता लगाकर अपना खेल कर जाते हैं। शासन-प्रशासन को इस दिशा में हर दिन सैकड़ों-हज़ारों की संख्या में ठगी के शिकार होने वालों को बचाने के लिए एक ऐसी सुदृढ़ व्यवस्था बनानी चाहिए जो साइबर ठगों से कई कदम आगे हो। 

चलते-चलते दो पंक्तियाँ सबके लिए ..... 

   अपनी गाढ़ी कमाई पर नज़र रखना 

इसलिए होशियार, खबरदार रहना 

भावनाओं में  यूँ ही नहीं बह जाना

पहले जागना फिर औरों को जगाना  


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रचनाएँ
दैनन्दिनी : दुनियादारी की बातें
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दैनिक डायरी लिखने के लिए आज से पहले कभी सोचा न था। कारण मैं समझती हूँ कि अपने आस-पास या किसी विषय भी पर लिखने से अधिक अपनी दिनचर्या के बारे में लिखना कठिन है। लेकिन शब्द.इन मंच की बात ही कुछ और हैं, जहाँ आकर मैं देखती हूँ कि यहाँ जिस तरह से नवोदित लेखकों के मध्य स्वस्थ प्रतियोगिताओं के माध्यम से उन्हें निरंतर लिखते रहने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, वह अन्य दूसरे मंचों पर प्राय: देखने को नहीं मिलता है। यद्यपि एक माह में 20 पोस्ट लिखना कठिन जान पड़ रहा है, फिर भी एक माह में निर्धारित दैनन्दिनी लिखने का मेरा सम्पूर्ण प्रयत्न रहेगा, जहाँ मैं देखना चाहूँगी कि इस दिशा में मैं कहाँ तक सफल रहूँगी।
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तेरा साथ है तो...

3 फरवरी 2022
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ॐ गं गणपतये नमः  आज का दिन मेरे लिए विशेष है, क्योंकि आज मेरे  जीवनसाथी का जन्मदिन है, इसलिए मैंने सोचा क्यों न दैनन्दिनी का आगाज इस दिन विशेष से किया जाय। आज सुबह जब उठी तो सबसे पहले उठकर मैंने

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एक बेचारा 1760 काम का मारा

4 फरवरी 2022
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          आज सुबह 7 बजे के लगभग जब मैं नहा-धो, पूजा-पाठ कर किचन में खाना बनाने की जुगत में भिड़ी ही थी कि तभी दरवाजे की घंटी बजी तो मैंने बिटिया को देखने के लिए आवाज दी और अनुमान लगाने लगी कि आखिर इतनी

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मेरी बगिया का वसंत

5 फरवरी 2022
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                  ऑफिस की छुट्टी हो और ऊपर से जाड़े का मौसम हो तो सुबह आँख जरा देर से खुलती है। आज भी कुछ ऐसा ही हुआ।  सुबह जब उठकर बाहर निकली तो देखा कि बिल्डिंग की दूसरी मंजिल में रहने वाली हमारी

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6 फरवरी 2022
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आज रविवार है यानि छुट्टी का दिन, कामकाजी महिलाओं के लिए दफ्तर को भुलाकर देर तक सुख स्वप्नों में विचरण करते रहने का दिन। इसलिए आज दैनिक दिनचर्या से हटकर बहुत देर बाद जागना हुआ। अब भले ही हर छुट्टी के द

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जिंदगी भर का घाव

12 फरवरी 2022
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अभी सुबह-शाम ठण्ड है इसलिए सुबह देर तक रजाई में घुसे रहना अच्छा लगता है और सुबह अच्छी गहरी नींद भी आती है। लेकिन इससे पहले कि मैं आज देर से जागती तड़के मोबाइल की घंटी घनघनाने लगी तो उनींदी आँखों से मोब

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बुढ़ापा आ गया सरकार हिम्मत हार बैठा हूँ

14 फरवरी 2022
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जमाना बदला तो उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर करने के स्थान पर पहले अंगूठा तो अब थोबड़ा दिखाकर हाजिरी लगनी क्या शुरू हुई कि समय पर ऑफिस जाना ही पड़ता है। पहले की तरह अब नहीं चलता कि देर से पहुंचे और कोई बहा

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ये आजकल के बच्चे भी न, कितना भी इन्हें समझा लो कि बेटा अपनी चीजों को सावधानी के साथ संभालकर जगह पर रखा करो, लेकिन ये दो-चार दिन तो ठाक-ठाक चलेंगे  और फिर वही अपने पुराने ढर्रे पर आ जाएंगे।  वही ढाक के

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गाँव-शहर में शोर पानी चोर-पानी चोर

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आज दो दिन हो गए। नल से पानी की एक बूँद भी नहीं टपकी।  ये पानी वाला डिपार्टमेंट भी बोलता कुछ और है और कर जाता कुछ और ही है।  इधर हमको कहा एक दिन की परीक्षा है और उधर दो दिन तक बिठा के रख दिया।  कहाँ तो

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18 फरवरी 2022
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जब बात अपनी हो तो ......

19 फरवरी 2022
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आज हमारी बिल्डिंग के सामने वाली बिल्डिंग में रहने वाले खरे साहब की लड़की का रिसेप्शन है। खरे साहब और उनकी श्रीमती जी दोनों नौकरी करते हैं।  उनके दो बच्चे हैं।  एक लड़का है एक लड़की। लड़का वकालत करता है और

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20 फरवरी 2022
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आज का दिन मेरी ख़ुशी का दिन है। आप सोच रहे होंगे किस बात की ख़ुशी।  तो आपको बताती चलूँ कि आज मेरी बिटिया का जन्मदिन है। शादी के एक बहुत लम्बे पीड़ादायी अंतराल के बाद बच्चों से सूने घर में ख़ुशी की किलकारी

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21 फरवरी 2022
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आज सुबह-सुबह नहा धोकर जब मैं पूजा करने अपने घर के पास के मंदिर गई तो वहाँ मुझे एक बुजुर्ग बाबा जी बैठे मिले। वे मंदिर के बाहर अकेले बैठे थे। मैं जैसे ही पूजा कर मंदिर से जल्दी घर की ओर निकली तो उन्हों

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स्मार्ट सिटी की सड़कों पर पलीता लगाते लोग

22 फरवरी 2022
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पिछले दो वर्ष से अधिक समय से कोरोना के मारे घर में मुर्गा-मुर्गियों के दबड़े की तरह उसमें दुबक कर रह गए थे। अभी दो चार दिन से मौसम का मिजाज गर्मियाने लगा तो सोचा सुबह-सुबह घूमने-फिरने की शुरुआत की जाय।

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घर-परिवार की परीक्षा के दिन

25 फरवरी 2022
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आज सुबह घूमने नहीं जा पा रही हूँ। मेरे बेटे की १० वीं सीबीएसई के प्री.बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं। वह बिस्तर पर बैठे-बैठे अपनी किताबों में खोया है और  और कभी-कभी ऑंखें बंद कर मनन कर रहा है। इस बार स

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कविता संग्रह का उपहार

27 फरवरी 2022
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आज सुबह जैसे ही मैं जागी तो मैंने देखा कि मेरे पतिदेव बड़ी उत्सुकता के साथ मेरे सामने खूबसूरत पैकिंग किया हुआ उपहार अपने हाथों में पकड़े हुए खड़े थे। वे मुझे देखकर चुपचाप खड़े-खड़े मंद-मंद मुस्कुराते ज

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