shabd-logo

माँ का संघर्ष जारी है

7 फरवरी 2022

57 बार देखा गया 57

आज मेरी माँ का जन्मदिन है।  हरवर्ष  उनके जन्मदिन पर हम सभी भाई-बहिन उनकी ख़ुशी की खातिर थोड़ा-बहुत खाना-पीने का कार्यक्रम करते हैं तो उन्हें यह देख बड़ी ख़ुशी मिलती हैं।  इसलिए आज सुबह-सुबह सबसे पहले मैं उनके पास गई और फिर मैंने घरवालों को बुलाकर उनके जन्मदिन मनाने की घोषणा कर सबको काम भी बाँट दिया।  जन्मदिन का केक और मटर पनीर और वेज बिरयानी मैं अपने घर से बनाकर ले जाऊँगी और मेरी छोटी बहन आलू और गोभी के सूखी सब्जी बनाकर लाएगी और छोटी भाभी खीर-पूरी और सालाद आदि का प्रबंध करेगी। आप सोच रहे होंगे कि मैं तो ससुराल में रहती हूँ तो फिर यह सब कैसे संभव होगा, तो बताती चलूँ कि मेरा ससुराल तो दिल्ली  है, लेकिन मेरे पति भोपाल में शासकीय सेवा में थे, इसलिए मुझे दिल्ली नहीं जाना पड़ा।  यहाँ मेरा मायका मेरे घर से महज आधा किलोमीटर तो मेरी छोटी बहन का 50-60  कदम दूरी पर है। चूँकि मेरी माँ विगत १५-१६ वर्ष से कैंसर से जूझ रही है, इसलिए हम दोनों बहिन को भी उनकी देखभाल के लिए  आना-जाना करना पड़ता है, इससे माँ को बहुत अच्छा लगता है। मेरी माँ भले ही शहर में रहती थी, लेकिन उनका हमारे परिवार के लिए किया गया संघर्ष अतुलनीय है।  पिताजी नौकरी करते थे और उनकी आय सीमित थी, ऐसे में आर्थिक तंगी से घर परिवार चलाते हुए माँ ने उनके साथ दृढ़तापूर्वक आगे बढ़कर हम सभी भाई-बहनों को लिखाने-पढ़ाने का भार अपने कन्धों उठाया। घर की माली हालत को ठीक बनाये रखने के लिए गाय-बकरी पालकर पटरी बिठाकर रखी।  माँ ने कभी स्कूल में दाखिला नहीं लिया, लेकिन वह जिंदगी के मुश्किल हालातों के थपेड़ों से पढ़ाई-लिखाई का मोल समझ गई थी। वह स्कूल की किताबों की लिखावट भले भी नहीं बांच सकी फिर भी दिनभर की दौड़ धूप के बाद देर रात तक चुपचाप हमारे पास बैठकर किताबों में लिखे अक्षरों के भावार्थ समझने में लगी रहती। माँ ने लड़के-लड़की का भेद न करते हुए हम दो बहनों और दो भाईयों की पढाई-लिखाई से लेकर स्कूल भेजने, ले जाने की सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ली। शहर में रहकर माँ ने कभी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया। कभी लाचारी नहीं दिखाई। कभी हालातों से समझौता नहीं किया। हमको नियमित स्कूल भेजना माँ ने सुनिश्चित किया। वह भले ही कभी हमारी अंकतालिका नहीं पढ़ पायी लेकिन वे हमारे चेहरे के भावों से सबकुछ आसानी से पढ़ लेती थी। माँ ने हमारा भविष्य निर्धारित किया और उसी का नतीजा है कि आज हम सब भाई-बहन पढ़-लिखकर अपने घर-परिवार और सामाजिक जिम्मेदारियों को बहुत हद तक ठीक ढंग से निभा पाने में समर्थ हो पा रहे हैं।

माँ का संघर्ष जारी है। पिताजी १५ वर्ष पहले कैंसर से ही चल बसे, लेकिन उस समय भी माँ खुद कैंसर से जूझते हुए हमारे लाख मना करने पर भी हॉस्पिटल में खुद उनकी देख रेख में डटी रही। माँ ने उनकी सेवा में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। हालांकि पिताजी ने कैंसर के आगे दो माह में ही हार मान ली, लेकिन माँ आज भी बड़ी हिम्मत से कैंसर का मुकाबला कर रही है। वह आज भी खुद घर परिवार की जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटी है। उनके साथ बीते पल अनमोल हैं। मेरा सौभाग्य है कि मेरी माँ हमेशा मेरे नजदीक ही रही है। शादी की बाद भी मैं उनके इतनी नजदीक हूँ कि मैं हर दिन उनके सामने होती हूँ। माँ घर से बाहर बहुत कम आ-जा पाती है। यह देख मुझे भी हरपल दुःख तो होता है। शायद यही नियति का खेल है। माँ हम सबके लिए एक प्रेरणास्रोत हैं, जिससे हमें यह  सीख मिलती है कि हालातों से मजबूर होकर जिंदगी से मुहं मोड़ना बुजदिली है, हालातों को अपने अनुकूल बनाना ही जीवन कौशल है। माँ अपने बच्चों के लिए कितना संघर्ष करती हैं, यह वह हर औरत समझती है जो माँ है। माँ ने पूरा जीवन हमें समर्पित किया है यही सोच कर आज का दिन यदि मैं उनके नाम कर उन्हें कुछ खुशियाँ दे सकूँ तो इससे अधिक मेरा क्या सौभाग्य होगा।  

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

बहुत ही प्रेरणादायक व्यक्तित्व है आपकी मम्मीजी का। जिजीविषा ही है, जो जिंदगी को जिंदगी बनाती है।

7 फरवरी 2022

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 आप प्रतिलिपि पर हों तो लिंक डाल दें ।मैं उधर ज्यादा रहती तो इधर समय कम दे पाती हूँ ।

7 फरवरी 2022

20
रचनाएँ
दैनन्दिनी : दुनियादारी की बातें
0.0
दैनिक डायरी लिखने के लिए आज से पहले कभी सोचा न था। कारण मैं समझती हूँ कि अपने आस-पास या किसी विषय भी पर लिखने से अधिक अपनी दिनचर्या के बारे में लिखना कठिन है। लेकिन शब्द.इन मंच की बात ही कुछ और हैं, जहाँ आकर मैं देखती हूँ कि यहाँ जिस तरह से नवोदित लेखकों के मध्य स्वस्थ प्रतियोगिताओं के माध्यम से उन्हें निरंतर लिखते रहने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, वह अन्य दूसरे मंचों पर प्राय: देखने को नहीं मिलता है। यद्यपि एक माह में 20 पोस्ट लिखना कठिन जान पड़ रहा है, फिर भी एक माह में निर्धारित दैनन्दिनी लिखने का मेरा सम्पूर्ण प्रयत्न रहेगा, जहाँ मैं देखना चाहूँगी कि इस दिशा में मैं कहाँ तक सफल रहूँगी।
1

तेरा साथ है तो...

3 फरवरी 2022
5
2
3

ॐ गं गणपतये नमः  आज का दिन मेरे लिए विशेष है, क्योंकि आज मेरे  जीवनसाथी का जन्मदिन है, इसलिए मैंने सोचा क्यों न दैनन्दिनी का आगाज इस दिन विशेष से किया जाय। आज सुबह जब उठी तो सबसे पहले उठकर मैंने

2

एक बेचारा 1760 काम का मारा

4 फरवरी 2022
2
1
1

          आज सुबह 7 बजे के लगभग जब मैं नहा-धो, पूजा-पाठ कर किचन में खाना बनाने की जुगत में भिड़ी ही थी कि तभी दरवाजे की घंटी बजी तो मैंने बिटिया को देखने के लिए आवाज दी और अनुमान लगाने लगी कि आखिर इतनी

3

मेरी बगिया का वसंत

5 फरवरी 2022
3
3
2

                  ऑफिस की छुट्टी हो और ऊपर से जाड़े का मौसम हो तो सुबह आँख जरा देर से खुलती है। आज भी कुछ ऐसा ही हुआ।  सुबह जब उठकर बाहर निकली तो देखा कि बिल्डिंग की दूसरी मंजिल में रहने वाली हमारी

4

अभी बात उसकी अधूरी है

6 फरवरी 2022
1
1
1

आज रविवार है यानि छुट्टी का दिन, कामकाजी महिलाओं के लिए दफ्तर को भुलाकर देर तक सुख स्वप्नों में विचरण करते रहने का दिन। इसलिए आज दैनिक दिनचर्या से हटकर बहुत देर बाद जागना हुआ। अब भले ही हर छुट्टी के द

5

माँ का संघर्ष जारी है

7 फरवरी 2022
4
3
2

आज मेरी माँ का जन्मदिन है।  हरवर्ष  उनके जन्मदिन पर हम सभी भाई-बहिन उनकी ख़ुशी की खातिर थोड़ा-बहुत खाना-पीने का कार्यक्रम करते हैं तो उन्हें यह देख बड़ी ख़ुशी मिलती हैं।  इसलिए आज सुबह-सुबह सबसे पहले मैं

6

तेरा साथ है तो .....

8 फरवरी 2022
4
4
3

आज सुबह एक बहुत पुराने बक्से में रखे जमीन के कुछ कागजाद की जरुरत पड़ी तो उनके साथ मुझे मेरी एक पुरानी सखी (डायरी) भी मुस्कुराते मिल गई। मैंने उसे  गले लगाया तो वह चहककर बोली- "आखिर आ ही गई मेरी याद तुझ

7

अपनी जड़ों के करीब ...

10 फरवरी 2022
0
0
0

आज रात मुझे एक जगह लड़की के विवाह समारोह तो दूसरी जगह बिटिया के जन्मोत्सव में सम्मिलित होने जाना है, इसलिए सोचा इससे पहले आज कुछ लिखती चलूँ।  कल शब्द.इन की पेड पुस्तक प्रतियोगिता के लिए "प्यार का खत लि

8

जिंदगी भर का घाव

12 फरवरी 2022
3
2
2

अभी सुबह-शाम ठण्ड है इसलिए सुबह देर तक रजाई में घुसे रहना अच्छा लगता है और सुबह अच्छी गहरी नींद भी आती है। लेकिन इससे पहले कि मैं आज देर से जागती तड़के मोबाइल की घंटी घनघनाने लगी तो उनींदी आँखों से मोब

9

नश्वर यह सारा अग-जग

13 फरवरी 2022
0
0
0

 आज भले ही छुट्टी का दिन था, लेकिन मैं और दिन की अपेक्षा जल्दी से उठी और कल जो मेरी ऑफिस की महिला मित्र के बड़े बेटे ने आत्महत्या की थी, उनके परिवार और रिश्तेदारों के लिए कुछ नाश्ता-पानी बनाकर ले गई। ऐ

10

बुढ़ापा आ गया सरकार हिम्मत हार बैठा हूँ

14 फरवरी 2022
3
1
3

हमारे ऑफिस में पदस्थ एक महिला अधीक्षक कई वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुई हैं। उनके पति उनसे पहले सेवानिवृत हो गए थे।  वे एक सरकारी स्कूल में प्राइमरी के अध्यापक थे। वे दोनों हमारे घर से कुछ ही दूरी पर रहते

11

ये पीने वाले बहुत ही अजीब होते हैं

15 फरवरी 2022
2
1
1

जमाना बदला तो उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर करने के स्थान पर पहले अंगूठा तो अब थोबड़ा दिखाकर हाजिरी लगनी क्या शुरू हुई कि समय पर ऑफिस जाना ही पड़ता है। पहले की तरह अब नहीं चलता कि देर से पहुंचे और कोई बहा

12

सिटी मार्केट की घिच पिच और पुच पिच में ....

16 फरवरी 2022
0
0
0

ये आजकल के बच्चे भी न, कितना भी इन्हें समझा लो कि बेटा अपनी चीजों को सावधानी के साथ संभालकर जगह पर रखा करो, लेकिन ये दो-चार दिन तो ठाक-ठाक चलेंगे  और फिर वही अपने पुराने ढर्रे पर आ जाएंगे।  वही ढाक के

13

गाँव-शहर में शोर पानी चोर-पानी चोर

17 फरवरी 2022
2
1
2

आज दो दिन हो गए। नल से पानी की एक बूँद भी नहीं टपकी।  ये पानी वाला डिपार्टमेंट भी बोलता कुछ और है और कर जाता कुछ और ही है।  इधर हमको कहा एक दिन की परीक्षा है और उधर दो दिन तक बिठा के रख दिया।  कहाँ तो

14

माथे पर साइबर ठगी की बढ़ती चिंता की लकीरें

18 फरवरी 2022
0
0
0

आज सुबह-सवेरे जब मैं घर से बाहर निकलकर आँगन में टहल रही थी, तो  एक लड़का और एक अधेड़ उम्र का आदमी मोटर सायकिल से उतरकर मुझे हमारे बिल्डिंग में रहने वाले यादव जी के घर का पता पूछने लगे। वे बहुत हैरान-परे

15

जब बात अपनी हो तो ......

19 फरवरी 2022
2
1
1

आज हमारी बिल्डिंग के सामने वाली बिल्डिंग में रहने वाले खरे साहब की लड़की का रिसेप्शन है। खरे साहब और उनकी श्रीमती जी दोनों नौकरी करते हैं।  उनके दो बच्चे हैं।  एक लड़का है एक लड़की। लड़का वकालत करता है और

16

मेरी ख़ुशी का दिन

20 फरवरी 2022
0
0
0

आज का दिन मेरी ख़ुशी का दिन है। आप सोच रहे होंगे किस बात की ख़ुशी।  तो आपको बताती चलूँ कि आज मेरी बिटिया का जन्मदिन है। शादी के एक बहुत लम्बे पीड़ादायी अंतराल के बाद बच्चों से सूने घर में ख़ुशी की किलकारी

17

हमारे गांव वाले बाबा

21 फरवरी 2022
0
0
0

आज सुबह-सुबह नहा धोकर जब मैं पूजा करने अपने घर के पास के मंदिर गई तो वहाँ मुझे एक बुजुर्ग बाबा जी बैठे मिले। वे मंदिर के बाहर अकेले बैठे थे। मैं जैसे ही पूजा कर मंदिर से जल्दी घर की ओर निकली तो उन्हों

18

स्मार्ट सिटी की सड़कों पर पलीता लगाते लोग

22 फरवरी 2022
0
0
0

पिछले दो वर्ष से अधिक समय से कोरोना के मारे घर में मुर्गा-मुर्गियों के दबड़े की तरह उसमें दुबक कर रह गए थे। अभी दो चार दिन से मौसम का मिजाज गर्मियाने लगा तो सोचा सुबह-सुबह घूमने-फिरने की शुरुआत की जाय।

19

घर-परिवार की परीक्षा के दिन

25 फरवरी 2022
0
0
0

आज सुबह घूमने नहीं जा पा रही हूँ। मेरे बेटे की १० वीं सीबीएसई के प्री.बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं। वह बिस्तर पर बैठे-बैठे अपनी किताबों में खोया है और  और कभी-कभी ऑंखें बंद कर मनन कर रहा है। इस बार स

20

कविता संग्रह का उपहार

27 फरवरी 2022
6
2
3

आज सुबह जैसे ही मैं जागी तो मैंने देखा कि मेरे पतिदेव बड़ी उत्सुकता के साथ मेरे सामने खूबसूरत पैकिंग किया हुआ उपहार अपने हाथों में पकड़े हुए खड़े थे। वे मुझे देखकर चुपचाप खड़े-खड़े मंद-मंद मुस्कुराते ज

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए