अभी सुबह-शाम ठण्ड है इसलिए सुबह देर तक रजाई में घुसे रहना अच्छा लगता है और सुबह अच्छी गहरी नींद भी आती है। लेकिन इससे पहले कि मैं आज देर से जागती तड़के मोबाइल की घंटी घनघनाने लगी तो उनींदी आँखों से मोबाइल उठाया तो ऑफिस के एक सहकर्मी ने एक दुःखद सूचना दी कि मेरी एक महिला मित्र के बड़े बेटे का स्वर्गवास हो गया है। अचानक यह दुःखद समाचार सुनकर मैं स्तब्ध रह गई। अब मेरी आँखों से नींद कोसों दूर भाग गई और मैं उसके बारे में सोचने। मैंने तुरन्त उसके दो मोबाइल नंबर बारी-बारी से मिलाये तो दोनों मुझे बंद मिले। मैं आनन्-फानन में पति को साथ लेकर उनके घर पहुँची तो वह मुझे गले लगाकर बिलख-बिलख कर रोने लगी तो मैं भी कुछ देर के लिए अपने को नहीं संभाल सकी। इससे पहले कि मैं यह सब कैसे हुआ पूछती वह रो-रोकर खुद ही बताती चली गई। उसकी बातों से मुझे मालूम हुआ कि लड़के ने तो कल शाम ५ बजे के लगभग ही फांसी लगा ली थी और अभी उसकी बॉडी पोस्टमार्टम के लिए हॉस्पिटल में रखी है। उसके घर में कुछ करीबी रिश्तेदार पहुँच चुके थे और कुछ आ रहे थे जिन्हें देखते ही वह बिलख-बिलख कर रोने लगती थी। उनके घर आये करीबी रिश्तेदारों का भी रो-रो कर हाल बुरा हो रहा था। कभी कोई किसी को तो कभी कोई किसी को ऐसी हालत में सँभालने की नाकाम कोशिश में लगा था। उसके घर जो भी रिश्तेदार या जान-पहचान वाले आ रहे थे सभी इस दुःखद समाचार से दुःखी और हतप्रभ थे। किसी को भी विश्वास नहीं हो पा रहा था कि उसका बड़ा बेटा जो इंजीनिरिंग करने के बाद पीएससी की तैयारी कर रहा था और साथ में एक नेटवर्किंग कंपनी में भी काम कर रहा था, बड़ा समझदार और किसी भी झमेले में न रहने के बाद भी कैसे अपनी माँ और छोटे भाई को चुपचाप छोड़कर चला जाएगा!
पोस्टमार्टम होने बाद जब उसकी बॉडी घर लायी गई और फिर उसे अंतिम संस्कार के लिए ले गए तब भी मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि उसका जवान बड़ा बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा।
मैं वहां बैठे उसके बारे में सोचती रही कि कैसे उसने अपने दोनों बेटों को उसके पति के गुजर जाने के बाद पाल-पोसकर बड़ा किया। ऑफिस और घर का काम एक साथ संभाला और उनके लिए किसी बात की कमी नहीं की। आज उसने बेटे को मर-खपकर इतना पढ़ा-लिखाकर आखिर क्या पाया, जो बेटे ने एक बार भी उसके बारे मैं नहीं सोचा। मुझे बहुत पीड़ा होती है जब मैं कई घर-परिवार में देखती हूँ कि उनके बच्चों ने उच्च शिक्षा तो प्राप्त कर ली होती है, लेकिन समझदारी के नाम पर वे इतने नासमझ होते हैं कि वे अपनी थोड़ी सी तकलीफ को बर्दास्त करने की भी हिम्मत नहीं रखते और ऐसा कदम उठा लेते हैं जो उनके माँ-बाप और घर-परिवार पर बड़ा भारी पड़कर जिंदगी भर का घाव दे जाता है।
शेष फिर ....