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कविता संग्रह का उपहार

27 फरवरी 2022

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आज सुबह जैसे ही मैं जागी तो मैंने देखा कि मेरे पतिदेव बड़ी उत्सुकता के साथ मेरे सामने खूबसूरत पैकिंग किया हुआ उपहार अपने हाथों में पकड़े हुए खड़े थे। वे मुझे देखकर चुपचाप खड़े-खड़े मंद-मंद मुस्कुराते जा रहे थे। मैं सोचने लगी कि आज तो न तो किसी रिश्तेदार या परिचित के यहाँ न तो किसी की शादी है, न कोई जन्मदिन है, न शादी की वर्षगाँठ है और न गृह प्रवेश आदि कार्यक्रम है, फिर पति महोदय किसके लिए यह उपहार लेकर आये होंगे। मैं सोचने लगी कि कहीं मैं कुछ भूल तो नहीं रही हूँ। मैंने बहुत याद किया लेकिन मुझे कुछ याद नहीं आया। अब मुझसे अधिक देर तक चुप नहीं रह गया और जैसे ही इस बारे में मैंने उनसे बात करनी चाही, उन्होंने मेरे हाथों में वह उपहार रख दिया और फिर कुछ शिकायती लहज़े में कहने लगे, "देख! तू कहती हैं न कि मैं तेरे लिए कोई उपहार नहीं लाता, तो ये लो जी आज मैं तेरे लिए ऐसा उपहार लाया हूँ, जिसे देख तू हमेशा याद रखेगी।" मैंने आश्चर्य से पूछा," सच कह रहे हो न? कहीं सुबह-सुबह कोई मजाक-वजाक तो नहीं कर रहे हो?" वे चहकते हुए बोले-" हाँ भई हाँ। खोलकर खुद ही देख ले, फिर कहना?" 


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मैं उपहार की पैकिंग खोलते हुए सोच रही थी कि आज तक मैं ही इन्हें उपहार की बात तो दूर, छोटी-छोटी चीजें भी लाकर देनी पड़ती हैँ, फिर आज ये क्या उपहार देने चले मुझे, देखूँ तो और जैसे ही मैंने बाहर की पैकिंग उधेड़ी और अंदर झाँक कर देखा तो उसमें मुझेे 'सचिन कम्प्यूटर डेल्हीवेरी' कुरियर कंपनी का एक पेड 'कैश मेमो'  जिसपर 'बुक' लिखा था, मिला तो मैं समझ गयी कि इसमें तो किताबें हैं। अब मेरी उत्सुकता बढ़ी कि देखूँ आखिर कौन सी किताबें हैं, मैंने जल्दी से फाड़ा और किताबें बाहर निकाली तो उन पर 'यूँ ही अचानक कहीं कुछ नहीं घटता" और नीचे 'कविता रावत' लिखा देखा तो मैं अवाक रह गई। मेरे मुंह से निकला, 'अरे! ये तो मेरी कविताओं का संग्रह है! ये कैसे छप गया!" यह सुनकर पतिदेव बोले,'बधाई हो। अब फिर कभी मत कहना कि मैं आज दिन तक तुम्हारे लिए कोई उपहार नहीं लाया।" मैं मुस्कुराते हुए 'हाँ, बाबा हाँ'  कहते हुए किताब को उलट-पुलट कर देखने लगी और सोचती रही कि मैं खामख्वाह ही कभी-कभी इन्हें 'कभी कोई चीज नहीं लाते मेरे लिए' कह देती हूँ। 

मैं और मेरे जीवनसाथी "साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जायेगा मिल कर बोझ उठाना" गीत की तरह हर कदम पर एक-दूसरे का साथ देते हैं, जिसका साक्ष्य मेरा यह 'यूँ ही अचानक कहीं कुछ नहीं घटता' काव्य संग्रह का प्रकाशन है। यदि वे  शब्द.इन टीम की सहायता प्रकोष्ठ से सम्पर्क कर  चुपके-चुपके मेरे इस 'कविता संग्रह' का प्रकाशन करवा कर मुझे उपहार स्वरुप भेंट न करते तो शायद इस कविता की कवितायेँ यूँ ही इधर-उधर बिखरी-बिखरी जाने कब तक मेरा मुँह ताकती रहती।

इस अमूल्य कृति प्रकाशन के लिए शब्द.इन टीम और मेरे जीवनसाथी का बहुत-बहुत धन्यवाद, आभार।    

फिर मिलते हैं  .. तब तक आप ये गीत गुनगुना कर देखिए ...   

               तेरा मेरा साथ रहे हो तेरा मेरा साथ रहे

               धूप हो, छाया हो, दिन हो कि रात रहे

               तेरा मेरा ...

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

बहुत सुन्दर

28 फरवरी 2022

आंचल सोनी 'हिया'

आंचल सोनी 'हिया'

सर और मैम, शब्द मंच के साथ आपके इस खूबसूरत सफ़र और संबंध के लिए बहुत-बहुत आभार। साथ ही आपके पुस्तक और आपके मध्य प्रेम के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं। सर की प्रत्येक कॉल में कविता मैम के लिए भरपूर स्नेह को मैंने महसूस किया है। ह्रदय तल से कहना चाहती हूं इस स्नेह को किसी की नज़र ना लगे। आप यूं ही सह प्रेम एक दूसरे के साथ सदैव बंधे रहें।💐🙏☺️🙏💐

28 फरवरी 2022

Pragya pandey

Pragya pandey

बधाई हो मैम 🙏🙏😊😊

28 फरवरी 2022

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रचनाएँ
दैनन्दिनी : दुनियादारी की बातें
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दैनिक डायरी लिखने के लिए आज से पहले कभी सोचा न था। कारण मैं समझती हूँ कि अपने आस-पास या किसी विषय भी पर लिखने से अधिक अपनी दिनचर्या के बारे में लिखना कठिन है। लेकिन शब्द.इन मंच की बात ही कुछ और हैं, जहाँ आकर मैं देखती हूँ कि यहाँ जिस तरह से नवोदित लेखकों के मध्य स्वस्थ प्रतियोगिताओं के माध्यम से उन्हें निरंतर लिखते रहने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, वह अन्य दूसरे मंचों पर प्राय: देखने को नहीं मिलता है। यद्यपि एक माह में 20 पोस्ट लिखना कठिन जान पड़ रहा है, फिर भी एक माह में निर्धारित दैनन्दिनी लिखने का मेरा सम्पूर्ण प्रयत्न रहेगा, जहाँ मैं देखना चाहूँगी कि इस दिशा में मैं कहाँ तक सफल रहूँगी।
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तेरा साथ है तो...

3 फरवरी 2022
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ॐ गं गणपतये नमः  आज का दिन मेरे लिए विशेष है, क्योंकि आज मेरे  जीवनसाथी का जन्मदिन है, इसलिए मैंने सोचा क्यों न दैनन्दिनी का आगाज इस दिन विशेष से किया जाय। आज सुबह जब उठी तो सबसे पहले उठकर मैंने

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एक बेचारा 1760 काम का मारा

4 फरवरी 2022
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          आज सुबह 7 बजे के लगभग जब मैं नहा-धो, पूजा-पाठ कर किचन में खाना बनाने की जुगत में भिड़ी ही थी कि तभी दरवाजे की घंटी बजी तो मैंने बिटिया को देखने के लिए आवाज दी और अनुमान लगाने लगी कि आखिर इतनी

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मेरी बगिया का वसंत

5 फरवरी 2022
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                  ऑफिस की छुट्टी हो और ऊपर से जाड़े का मौसम हो तो सुबह आँख जरा देर से खुलती है। आज भी कुछ ऐसा ही हुआ।  सुबह जब उठकर बाहर निकली तो देखा कि बिल्डिंग की दूसरी मंजिल में रहने वाली हमारी

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अभी बात उसकी अधूरी है

6 फरवरी 2022
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आज रविवार है यानि छुट्टी का दिन, कामकाजी महिलाओं के लिए दफ्तर को भुलाकर देर तक सुख स्वप्नों में विचरण करते रहने का दिन। इसलिए आज दैनिक दिनचर्या से हटकर बहुत देर बाद जागना हुआ। अब भले ही हर छुट्टी के द

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माँ का संघर्ष जारी है

7 फरवरी 2022
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आज मेरी माँ का जन्मदिन है।  हरवर्ष  उनके जन्मदिन पर हम सभी भाई-बहिन उनकी ख़ुशी की खातिर थोड़ा-बहुत खाना-पीने का कार्यक्रम करते हैं तो उन्हें यह देख बड़ी ख़ुशी मिलती हैं।  इसलिए आज सुबह-सुबह सबसे पहले मैं

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तेरा साथ है तो .....

8 फरवरी 2022
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आज सुबह एक बहुत पुराने बक्से में रखे जमीन के कुछ कागजाद की जरुरत पड़ी तो उनके साथ मुझे मेरी एक पुरानी सखी (डायरी) भी मुस्कुराते मिल गई। मैंने उसे  गले लगाया तो वह चहककर बोली- "आखिर आ ही गई मेरी याद तुझ

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अपनी जड़ों के करीब ...

10 फरवरी 2022
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आज रात मुझे एक जगह लड़की के विवाह समारोह तो दूसरी जगह बिटिया के जन्मोत्सव में सम्मिलित होने जाना है, इसलिए सोचा इससे पहले आज कुछ लिखती चलूँ।  कल शब्द.इन की पेड पुस्तक प्रतियोगिता के लिए "प्यार का खत लि

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जिंदगी भर का घाव

12 फरवरी 2022
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अभी सुबह-शाम ठण्ड है इसलिए सुबह देर तक रजाई में घुसे रहना अच्छा लगता है और सुबह अच्छी गहरी नींद भी आती है। लेकिन इससे पहले कि मैं आज देर से जागती तड़के मोबाइल की घंटी घनघनाने लगी तो उनींदी आँखों से मोब

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नश्वर यह सारा अग-जग

13 फरवरी 2022
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 आज भले ही छुट्टी का दिन था, लेकिन मैं और दिन की अपेक्षा जल्दी से उठी और कल जो मेरी ऑफिस की महिला मित्र के बड़े बेटे ने आत्महत्या की थी, उनके परिवार और रिश्तेदारों के लिए कुछ नाश्ता-पानी बनाकर ले गई। ऐ

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बुढ़ापा आ गया सरकार हिम्मत हार बैठा हूँ

14 फरवरी 2022
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हमारे ऑफिस में पदस्थ एक महिला अधीक्षक कई वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुई हैं। उनके पति उनसे पहले सेवानिवृत हो गए थे।  वे एक सरकारी स्कूल में प्राइमरी के अध्यापक थे। वे दोनों हमारे घर से कुछ ही दूरी पर रहते

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ये पीने वाले बहुत ही अजीब होते हैं

15 फरवरी 2022
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जमाना बदला तो उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर करने के स्थान पर पहले अंगूठा तो अब थोबड़ा दिखाकर हाजिरी लगनी क्या शुरू हुई कि समय पर ऑफिस जाना ही पड़ता है। पहले की तरह अब नहीं चलता कि देर से पहुंचे और कोई बहा

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सिटी मार्केट की घिच पिच और पुच पिच में ....

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ये आजकल के बच्चे भी न, कितना भी इन्हें समझा लो कि बेटा अपनी चीजों को सावधानी के साथ संभालकर जगह पर रखा करो, लेकिन ये दो-चार दिन तो ठाक-ठाक चलेंगे  और फिर वही अपने पुराने ढर्रे पर आ जाएंगे।  वही ढाक के

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गाँव-शहर में शोर पानी चोर-पानी चोर

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आज दो दिन हो गए। नल से पानी की एक बूँद भी नहीं टपकी।  ये पानी वाला डिपार्टमेंट भी बोलता कुछ और है और कर जाता कुछ और ही है।  इधर हमको कहा एक दिन की परीक्षा है और उधर दो दिन तक बिठा के रख दिया।  कहाँ तो

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माथे पर साइबर ठगी की बढ़ती चिंता की लकीरें

18 फरवरी 2022
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आज सुबह-सवेरे जब मैं घर से बाहर निकलकर आँगन में टहल रही थी, तो  एक लड़का और एक अधेड़ उम्र का आदमी मोटर सायकिल से उतरकर मुझे हमारे बिल्डिंग में रहने वाले यादव जी के घर का पता पूछने लगे। वे बहुत हैरान-परे

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जब बात अपनी हो तो ......

19 फरवरी 2022
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आज हमारी बिल्डिंग के सामने वाली बिल्डिंग में रहने वाले खरे साहब की लड़की का रिसेप्शन है। खरे साहब और उनकी श्रीमती जी दोनों नौकरी करते हैं।  उनके दो बच्चे हैं।  एक लड़का है एक लड़की। लड़का वकालत करता है और

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20 फरवरी 2022
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आज का दिन मेरी ख़ुशी का दिन है। आप सोच रहे होंगे किस बात की ख़ुशी।  तो आपको बताती चलूँ कि आज मेरी बिटिया का जन्मदिन है। शादी के एक बहुत लम्बे पीड़ादायी अंतराल के बाद बच्चों से सूने घर में ख़ुशी की किलकारी

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21 फरवरी 2022
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आज सुबह-सुबह नहा धोकर जब मैं पूजा करने अपने घर के पास के मंदिर गई तो वहाँ मुझे एक बुजुर्ग बाबा जी बैठे मिले। वे मंदिर के बाहर अकेले बैठे थे। मैं जैसे ही पूजा कर मंदिर से जल्दी घर की ओर निकली तो उन्हों

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स्मार्ट सिटी की सड़कों पर पलीता लगाते लोग

22 फरवरी 2022
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पिछले दो वर्ष से अधिक समय से कोरोना के मारे घर में मुर्गा-मुर्गियों के दबड़े की तरह उसमें दुबक कर रह गए थे। अभी दो चार दिन से मौसम का मिजाज गर्मियाने लगा तो सोचा सुबह-सुबह घूमने-फिरने की शुरुआत की जाय।

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घर-परिवार की परीक्षा के दिन

25 फरवरी 2022
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आज सुबह घूमने नहीं जा पा रही हूँ। मेरे बेटे की १० वीं सीबीएसई के प्री.बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं। वह बिस्तर पर बैठे-बैठे अपनी किताबों में खोया है और  और कभी-कभी ऑंखें बंद कर मनन कर रहा है। इस बार स

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कविता संग्रह का उपहार

27 फरवरी 2022
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आज सुबह जैसे ही मैं जागी तो मैंने देखा कि मेरे पतिदेव बड़ी उत्सुकता के साथ मेरे सामने खूबसूरत पैकिंग किया हुआ उपहार अपने हाथों में पकड़े हुए खड़े थे। वे मुझे देखकर चुपचाप खड़े-खड़े मंद-मंद मुस्कुराते ज

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